दतिया: भले ही राज्य सरकार विकास के बड़े-बड़े दावे कर ले लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। मामला दतिया जिले के ग्राम पंचायत रिछारी के गांव जखोरिया का है जहां करीब 1 हजार की आबादी के बावजूद अंतिम संस्कार के लिए मुक्तिधाम नहीं है। इस गांव में यदि किसी की मृत्यु हो जाती है, तो उसके अंतिम संस्कार के लिए शासकीय भूमि तक नसीब नहीं है।
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दरअसल जखोरिया के बुजुर्ग कामता प्रसाद कुशवाहा का निधन होने के बाद उनके अंतिम संस्कार के लिए निजी खेत में खड़ी हरी फसल काटकर अंतिम संस्कार करना पड़ा। आरोप है कि गांव की शासकीय भूमि पर दबंगों ने कब्जा कर रखा है। यदि गांव में किसी की मृत्यु हो जाती है, तो उसे अपनी निजी भूमि में ही अंतिम संस्कार करना पड़ता है।