रायपुर: धान और नक्सलवाद के बाद छत्तीसगढ़ में अगर कोई मुद्दा सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहता है तो, वो है शराब। यही वजह है कि लॉक़डाउन में राज्य सरकार ने शराब की होम डिलीवरी का फैसला लिया तो, रायपुर से दिल्ली तक आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। बीजेपी जहां सरकार की नीति और नीयत पर सवाल उठा रही है, तो सत्ता पक्ष भी जवाबी हमला करने में पीछे नहीं है। इन सबके बीच शराब होम डिलीवरी का ऑर्डर देने वाले मदिरा प्रेमी भी परेशान हैं। आबकारी विभाग ऑनलाइन पेमेंट लेने के बावजूद शराब की डिलीवरी नहीं कर पा रहा। ऐसे में विभाग कहीं दुकान खोलकर तो कहीं चौराहे पर गाड़ी लगाकर शराब मुहैया करा रहा है। जहां जमा हो रही सैकड़ों लोगों की भीड़ कोरोना संक्रमण को बढ़ावा दे रहा है।
अब ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या छत्तीसगढ़ में आबकारी विभाग ने बगैर तैयारी के शराब की होम डिलीवरी शुरु की? दरअसल कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने प्रदेश में जारी लॉकडाउन के बीच 10 मई को शराब होम डिलीवरी की शुरूआत CSMCL पोर्टल से की गई। पहले ही दिन एक लाख से ज्यादा लोगों की विजिट करने से सर्वर क्रैश हो गया। बावजूद इसके पहले दिन 4 करोड़ 32 लाख रुपए का ऑर्डर हुआ। लेकिन इतने लोगों तक डिलीवरी कर पाने में विभाग नाकाम साबित हुआ। ऑर्डर के बाद शराब घर नहीं पहुंचने पर लोग काउंटर तक घर पहुंच रहे हैं, जहां से शराब की सप्लाई की जा रही है। लॉकडाउन की धज्जियां उड़ाते हुए लोग सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन नहीं कर रहे। दूसरी ओर राजधानी रायपुर में ऑर्डर के बाद शराब की होम डिलीवरी नहीं हुई, तो चौराहे पर गाड़ी लगाकर लोगों को शराब बांटी गई। हालांकि कुछ लोगों को यहां भी निराशा ही हाथ लगी।
छत्तीसगढ़ में शराब होम डिलीवरी की चर्चा रायपुर से दिल्ली तक है। केन्द्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने ट्वीट कर राज्य सरकार को घेरा, जिसके जवाब में कांग्रेस ने पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में शराब दुकान खुलने की खबर को लेकर भाजपा पर हमला बोला। अब पूर्व सीएम रमन सिंह ने भिलाई स्थित शराब दुकान की एक पेपर में प्रकाशित खबर की कटिंग को पोस्ट करते हुए लिखा कि इस लाइन में खड़ा कोई भी व्यक्ति यदि कोरोना पॉजिटिव हुआ और कोई अप्रिय घटना हुई तो उसके लिए जिम्मेदार प्रदेश की कांग्रेस सरकार होगी। रमन सिंह के आरोपों पर मंत्री रविन्द्र चौबे ने पलटवार करते हुए कहा कि 2003 में आबकारी से छत्तीसगढ़ का राजस्व 300 करोड़ था, जिसे रमन सिंह ने 15 साल में 5 हजार करोड़ तक पहुंचाया। इसके लिए केन्द्र की मोदी सरकार को रमन सिंह को पद्म पुरस्कार से नवाजा जाना चाहिए।
कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ में मदिरा पर महाभारत जारी है। सत्ता पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर हमलवार हैं, लेकिन हकिकत तो ये है कि भाजपा जिन्होंने 15 साल तक छत्तीसगढ़ में शराब की खपत को नियंत्रित करने के लिए कोई उपाय नहीं किए। अब कांग्रेस पर आरोप लगा रही है, तो वहीं कांग्रेस पार्टी जिन्होंने शराबबंदी करने के वादे के दम पर छत्तीसगढ़ में ऐतिहासिक जीत दर्ज की। ढाई साल हो गए शराबबंदी पर केवल समीति बना पाई है, जिसका कोई निर्णय अब तक सरकार तक नहीं पहुंची। दूसरी ओर तमाम विरोध के बावजूद लॉकडाउन में आबकारी विभाग का बिना तैयारी के शराब की होम डिलीवरी करना कई सवाल खड़े करता है।
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