भोपाल: इन दिनों कांग्रेस और बीजेपी के बीच एक पुल को लेकर पॉलिटिकल संग्राम छिड़ा हुआ है। आरोप है कि कांग्रेस के सीनियर विधायक और पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने बुदनी में एक ऐसे पुल का उद्घाटन कर दिया, जिसका निर्माण कार्य अधूरा था और टेस्टिंग नहीं हुई थी। इसीलिए पुलिस ने उनपर केस दर्ज लिया है। इससे भड़के कांग्रेसियों ने मोर्चा खोल दिया है। सज्जन सिंह वर्मा पर FIR को वापस लेने की मांग के साथ कांग्रेस ने सरकार को चेतावनी दी है। तो वहीं सत्ता पक्ष का कहना है कि ये सब कांग्रेस का पॉलिटिकल स्टंट है।
कांग्रेस के सीनियर लीडर सज्जन सिंह वर्मा एक बार फिर सुर्खियों में हैं, वजह है मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बुदनी विधानसभा क्षेत्र में जिस पुल का वो उदघाटन करने वाले थे, उसी पुल का कांग्रेस विधायक और पूर्व PWD मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने पहले ही उद्घाटन कर दिया। मामले में पुलिस ने सज्जन सिंह पर IPC की धारा-188 के साथ सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है। इसके बाद कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने हैं, नाराज सज्जन सिंह समर्थकों ने कमिश्नर को ज्ञापन सौंप कर प्रकरण वापस लेने की मांग की है। इधऱ,सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि ऐसे 10 प्रकरण भी लगा दें तो भी जनहित के काम होते रहेंगे।
सत्ता पक्ष का आरोप है कि पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने बुदनी के ऐसे पुल का उद्घाटन कर दिया, जिसकी फाइनल टेस्टिंग ही पूरी नहीं हुई। ऐसे में अगर हादसा हो गया तो कौन जिम्मेदारी लेगा? बीजेपी ने इसे कांग्रेस और सज्जन सिंह वर्मा का पॉलिटिकल स्टंट भी बताया।
कुल मिलाकर मुद्दे पर सत्ता-पक्ष और विपक्ष में जिस तरह नियम-कायदों को लेकर ठनी है। उसके बाद सज्जन सिंह वर्मा इसमें बुरे फंसते नज़र आ रहे हैं। वर्मा समर्थकों के दबाव के बाद भी पुलिस FIR वापस लेने तैयार नहीं है। देवास नेमावर हत्याकांड पर संगीन आरोपों से घिरने के बाद सत्तापक्ष को कांग्रेस के खिलाफ एक बड़ा मौका मिला है। देखना होगा कि टकराव की सियासत कहां जाकर खत्म होती है?