भोपाल: प्रदेश में खनन माफिया किस कदर बेखौफ है ये किसी से छिपा नहीं हैं, आए दिन वन विभाग की टीम पर हो रहे हमले बताते हैं। फौरन और कड़ी कार्रवाई के दावों में कितनी सच्चाई है और तो और ईमानदारी से काम करने वाले वो अफसर, जो जान हथेली पर ऱखकर माफिया पर लगाम कसने की कोशिश करते हैं। उन्हें सूचना के बाद भी समय पर पुलिस का साथ नहीं मिल पाता। ये हम नहीं हमले पर हमले झेलने वाले अफसर खुद कह रहे हैं। आखिर कब होगा सख्त ऐक्शन? अगर हो रहा है तो फिर असर क्यों नहीं दिखता? कैसे और कब रुकेगा अवैध खनन?
ये तस्वीरें मध्यप्रदेश में मुरैना से 30 किलोमीटर दूर देवगढ़ के पास लहोरी के पुरा गांव की, जहां शाम 7.30 बजे के आस-पास माफिया के लोगों ने जब्त की गई रेत की अवैध ट्रैक्टर ट्राली को छीन लिया बल्कि वन विभाग की टीम पर हमला भी किया।
वन विभाग की एसडीओ श्रद्धा पांढरे के मुताबिक वो शाम को अपनी टीम के साथ गश्त पर निकली, इस दौरान उनकी टीम ने पठानपुरा के पास अवैध रेत का परिवहन कर रहे एक ट्रैक्टर-ट्राली को जब्त किया। जब्त वाहन को लेकर खनिज विभाग की टीम करीब के ही देवगढ़ थाने के लिए रवाना हुई, तभी लहोरी के पुरा गांव के पास 100 से ज्यादा लोगों ने सड़क पर झाड़ियां और पत्थर रखकर उनका रास्ता रोका और ट्रैक्टर ट्राली छीन ली। इसी दौरान पीछे आ रही श्रद्धा पांढरे की गाड़ी को भी रेत माफिया ने घेरकर उस पर हमला कर दिया, जिसमें SAF का एक जवान घायल हो गया। वारदात की जानकारी तत्काल देवगढ़ थाना प्रभारी को दी गई लेकिन एक किलोमीटर दूर होने के बाद भी एक घंटे तक पुलिस टीम वहां नहीं पहुंच पाई।
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ग्वालियर चंबल में अवैध रेत खनन कोई नई बात नहीं है। बेखौफ माफिया का वन विभाग, पुलिस टीम पर हमला भी अब आम हो चला है। यदि पिछले कुछ दिन की वारदातों पर गौर करें, तो ग्वालियर में 5 फरवरी को अवैध रेत ला रहे माफिया ने पुलिस पर फायरिंग कर दी। 7 फरवरी को ग्वालियर के घाटीगांव में सफेद पत्थर का अवैध उत्खनन कर रहे बदमाशों ने वन विभाग की टीम को घेरकर पथराव किया। 10 फरवरी को ग्वालियर के तिघरा में पत्थर माफिया ने वन विभाग की टीम पर फायरिंग की और जब्त किया गया वाहन लेकर भाग गए। 26 फरवरी को तिघरा में अवैध खनन रोकने के लिए गई वन विभाग की टीम पर फायरिंग की गई और माफिया जब्त जेसीबी के साथ अपने साथी को छुड़ाकर ले गए। दतिया में सेवढ़ा के कंधारपुरा में 1 जून को गश्त करने गई टीम पर हमला हुआ जिसमें दो जवान घायल हो गए।
साफ है ग्वालियर चंबल में माफिया के बढ़ते हौसले वन विभाग टीम पर बैखौफ हमले इशारा है। साल 2012 में मुरैना के बामोर में माफिया द्वारा ट्रैक्टर से कुचलकर IPS नरेंद्र कुमार सिंह की हत्या को प्रदेश भूला नहीं है। जरूरत है सियासी पैंतरेबाजी से इतर खनन माफिया पर सख्त एक्शन लेने का। ईमानदार अफसरों की मदद ना करने वाले पुलिस टीम की जिम्मेदारी तय करने का।