36 घंटे की व्रत के बाद उगते सूरज को अर्घ्य देने पहुंची महिलाएं, सुबह 4 बजे से ही छठ घाट पर उमड़ी भीड़ | Lady Reach Chath Ghat for Pray Lord Shurya

36 घंटे की व्रत के बाद उगते सूरज को अर्घ्य देने पहुंची महिलाएं, सुबह 4 बजे से ही छठ घाट पर उमड़ी भीड़

36 घंटे की व्रत के बाद उगते सूरज को अर्घ्य देने पहुंची महिलाएं, सुबह 4 बजे से ही छठ घाट पर उमड़ी भीड़

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:07 PM IST
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Published Date: November 3, 2019 12:21 am IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में छठ का पर्व धूम धाम से मनाया जा रहा है। 36 घंटे के व्रत के बाद महिलाएं अपने परिवार के सदस्यों के साथ उगते सूरज को अर्घ्य देने पहुंची हैं। सुबह 4 बजे से ही लोग घाट में उगते सूरज को अर्घ्य देने पहुंचे हैं। ऐसा माना जाता है कि उगते सूरज को अर्घ्य देने के बाद ही यह व्रत पूरा होता है। राजधानी रायपुर के महादेव घाट में भी महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ी है। बता दें कि कल व्रती महिलाओं ने डूबते सूरज को अर्घ्य देकर मनोकामना की थी।

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ऐसा माना जाता है कि छठ व्रत को करने से स्कंद माता व कुमार कार्तिकेय प्रसन्न होते हैं। पुराणों में भी इस बात का उल्लेख है कि षष्ठी देवी यानी छठी मइया सृष्टि के विधाता भगवान ब्रम्हा की पुत्री हैं, जिनका नाम देवसेना है। देवसेना का विवाह भगवान शिव के बड़े पुत्र कार्तिकेय के साथ हुआ है। स्कंद कुमार कार्तिकेय का दूसरा नाम है। कार्तिकेय के साथ अंक 6 बहुत ही अद्भुत संयोग है। इनका जन्म षष्ठी तिथि को हुआ था। इनके मुख भी छह है। इनका पालन पोषण भी 6 कृतिकाओं ने मिलकर किया है। इससे इनकी माता की संख्या भी मानी जाती है। यही वजह है कि छठ पूजा से कुमार कार्तिकेय प्रसन्न होते हैं।

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बताया जाता है कि छठ महापर्व की शुरूआत नहाय खाय से होती है। यह पर्व 4 दिनों तक चलती है। जिसमें दूसरे दिन व्रती शाम में खरना करती हैं और प्रसाद खाने के बाद उनका 36 घंटे का निर्जला उपवास करती हैं। तीसरे दिन डूबते सूरज को व्रती महिलाएं अर्घ्य देती हैं। फिर अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ महापर्व संपन्न हो जाता है। व्रती गंगाजल या पवित्र नदियों का जल पीकर 36 घंटे का उपवास तोड़ती हैं।

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