खजुराहो: दीवाली के अवसर पर इस बार मिट्टी के दिये की बाजार में डिमांड जोरों पर है। इसी के चलते धनतेरस के अवसर पर कुम्हारों ने जमकर बिजनेस किया। वहीं, इस दीवाली में खजुराहो में एक अनोखा दिया हमें बाजार में देखने को मिला। कुम्हार के बनाए इस “मैजिक दिये” की मांग देश ही नहीं विदेशों में भी जोरों पर है। बजारा में आए इस “मैजिक दिये” की मांग स्थानीय बाजार में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी जमकर हो रही है।
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गुल्लक के आकार और कछुए की आकृति में मिटटी से बने यह दिये कुछ ख़ास बनावट है और इसी तरह से नाम भी ख़ास रखा गया है “मैजिक दिये”। मिटटी से बना यह मैजिक दिया खजुराहो से 15 किलोमीटर दूर प्रजापति परिवार के द्वारा अपनी पैतृक व्यवसाय को बढ़ाने और आज की नई सोच को दर्शाता है। प्रजापति परिवार के द्वारा बनाए हुए मैजिक दियों का नाम क्यों मैजिक दिये कहा जाता है इसकी भी ख़ास वजह है।
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मैजिक दिये में भी आम दीयों की तरह तेल डाला जाता है। दिये में तेल डालने के बाद तेल अन्दर ही लॉक हो जाता है और दिए को सीधा खड़ा रख देते हैं। इसके बाद कॉटन की बत्ती बनाकर उसको दिए में रखकर आम दीयों की तरह घंटों जलता रहता है, जिसे देवीदीन के बेटे राघवेन्द्र ने खुद डेमो करके दिखाया।
मैजिक दिया बनाने वाले राघवेन्द्र ने बताया कि दिये में तेल डालने के बाद वह दिए में लॉक हो जाता हैऔर दिए को सीधा खड़ा रख देते हैं। इसके बाद कॉटन की बत्ती बनाकर उसको दिये में रखकर आम दीयों की तरह जलाते हैं और मैजिक लैंप जलता रहता है। उन्होंने यह भी बताया कि वह अपनी पीढ़ियों की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए 25 सालों से मैजिक दिये बनाते आ रहे हैं और यह मैजिक दिये सिर्फ उनके परिवार के द्वारा ही बनाए जाते हैं। देशी और विदेशी मार्केट में मांग होने के कारण आज मैजिक दिए उनके परिवार की पहचान बन गई और जैसा ही इन दियों का नाम है उसी तरह से उनकी कीमत भी तय की गई है।
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