रायपुर: छत्तीसगढ़ का इकलौता पत्रकारिता यूनिवर्सिटी कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय एक बार फिर सुर्खियों में हैं। आरोप है कि पत्रकारिता विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा अतिथि शिक्षकों के चयन में भेदभाव किया जा रहा है। नियमों को ताक में रखकर चहेतों को फायदा पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।
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सूत्रों के हवाले खबर मिल रही है कि कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय में अलग-अलग विभागों में अतिथि शिक्षकों के लिए अलग-अलग आवेदन मंगाए गए हैं। आरोप है कि अतिथि शिक्षकों के लिए निकाले गए विज्ञापन में रिक्त पदों की संख्या नहीं दी गई है। इस बात से स्पष्ट होता है कि चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए भ्रामक विज्ञापन दिए गए हैं।
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बताया जा रहा है कि ऐसा करके विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा चहेतों को लाभ पहुंचाया जा रहा है। चहेतों को ऐसे विभाग में आवेदन करवाया गया, जहां रिक्त पदों की संख्या ज्यादा थी। जबकि दूसरे उम्मीदवारों को विभागवार कुल रिक्त पदों की जानकारी ही नहीं मिल पाई। लिहाजा उन्होंने उसी विभाग में आवेदन दिए जिसकी उन्होंने पढ़ाई की है। कहा जा रहा है कि दावा अपत्ति प्रस्तुत किए जाने के बाद इस बात का खुलासा हुआ।
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कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय प्रबंधन पर सवाल उठाते हुए कहा है कि अगर यहां पर योग्यता के अनुरूप अतिथि शिक्षकों का चयन होता है तो फिर विज्ञापन में रिक्त पदों की संख्या का क्यों उल्लेख नहीं किया गया है? इस पूरे मामले को लेकर अब राजभवन और सरकार से शिकायत करने की तैयारी की जा रही है।
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नियमावली संशोधन को लेकर उठाए सवाल
सूत्रों ने विश्वविद्यालय के रजिष्ट्रार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि रजिस्ट्रार ने 6 जुलाई को पत्र क्रमांक 587 के जरिए अतिथि व्याख्यान आमंत्रण व्यवस्था हेतु नियमावली जारी की है। जारी पत्र के कंडिका 6 में स्पष्ट उल्लेख है कि उम्मीदवार को चयन के पूर्व इस बात का शपथ पत्र देना होगा कि उनके खिलाफ कोई भी कानूनी प्रकरण नहीं है। साथ ही इस बात का भी स्पष्टीकरण देना होगा कि वे किसी और जगह पर कार्यरत नहीं हैं। लेकिन चहेतों को लाभ देने के लिए इस कंडिका को संशोधन द्वारा विलोपित कर दिया गया।
विश्वविद्यालय द्वारा अतिथि प्राध्यापकों हेतु जारी नियमावली की कंडिका तीन में स्पष्ट उल्लेख है कि चयन प्रक्रिया पूर्णतयाः मेरिट के आधार पर होगी एवं यूजीसी एवं छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा निर्धारित मापदंडों के अनुसार की जाएगी। लेकिन अपनाई गई चयन प्रक्रिया में यूजीसी के मापदंडों के अनुसार एपीआई स्कोर (अकादमिक परफॉर्मेंस इंडेक्स स्कोर) के आधार पर चयन नहीं किया गया है और न ही विश्वविद्यालय समन्वय समिति राजभवन, द्वारा निर्धारित शिक्षकों की चयन प्रक्रिया का पालन किया गया है।
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