करोड़ों का इंजेक्शन...क्यों चुप प्रदेश के सांसद! अयांश को लेकर जनप्रतिनिधियों का उदासीन रवैया क्यों? | Injection of crores ... why silent state MP! Why the apathetic attitude of public representatives regarding Ayansh?

करोड़ों का इंजेक्शन…क्यों चुप प्रदेश के सांसद! अयांश को लेकर जनप्रतिनिधियों का उदासीन रवैया क्यों?

करोड़ों का इंजेक्शन...क्यों चुप प्रदेश के सांसद! अयांश को लेकर जनप्रतिनिधियों का उदासीन रवैया क्यों?

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:36 PM IST, Published Date : March 18, 2021/6:00 pm IST

रायपुर: आज हम एक ऐसे मुद्दे पर चर्चा करेंगे, जो एक मानवीय पहलू से जुड़ा है। मध्यप्रदेश से राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने छत्तीसगढ़ के भिलाई के एक मासूम बच्चे की जिंदगी बचाने के लिए पहल की। ढाई साल के अयांश को एक दुर्लभ और गंभीर बीमारी है, जिसकी दवा का खर्च तकरीबन 23 करोड़ है। जाहिर है ये रकम किसी भी सामान्य परिवार के बस के बाहर की बात है, लेकिन कांग्रेसी सांसद विवेक तन्खा ने ना केवल अयांश बल्कि ऐसे बाकि बच्चों की मदद का मुद्दा राज्यसभा में उठाते हुए चार सुझाव दिए हैं। यहां सवाल ये भी उठा कि आखिर इस पर छत्तीसगढ़ के तमाम सांसद मौन क्यों रहे, उन्होंने इस पर पहल क्यों नहीं की?

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ये है ढाई साल का मासूम अयांश गुप्ता, छत्तीसगढ़ के भिलाई का रहने वाला अयांश बीते कई महीनों से हैदराबाद के एक अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच की जंग लड़ रहा है। दरअसल अयांश एक गंभीर बीमारी मस्कुलर से पीड़ित है, जिसके इलाज के लिए पूरी दुनिया में केवल एक ही दवा है जो अमेरिका में बनती है और इसके एक इंजेक्शन की कीमत 16 करोड़ की है। लेकिन भारत में टैक्स जोड़कर एक इंजेक्शन की कीमत 23 करोड़ है। यानी किसी भी सामान्य परिवार के लिए 23 करोड़ का इंजेक्शन लगा पाना संभव नहीं। अयांश और उसके जैसे दूसरे पीड़ित बच्चों के लिए सांसद विवेक तन्खा ने राज्यसभा में बीमारी का मुद्दा उठाया, उन्होंने कहा कि अभी महाराष्ट्र की एक बच्ची के माता पिता के आह्वान पर प्रधानमंत्री ने 7 करोड़ का टैक्स माफ किया, पर ये समस्या का पूरी तरह से हल नही है। उन्होंने इसके लिए सदन को 4 सुझाव भी दिए।

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मध्यप्रदेश से राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने मस्कुलर बीमारी से पीड़ित अयांश जैसे दूसरे बच्चों के लिए संवेदना दिखाते हुए सदन में इस विषय को उठाया, लेकिन छत्तीसगढ़ में अबतक इसे लेकर कोई सांसद आगे नहीं आया है। ऐसे में सवाल जरूर उठता है कि अयांश को लेकर प्रदेश के जनप्रतिनिधियों का उदासीन रवैया क्यों है? हालांकि कांग्रेस को उम्मीद है कि विवेक तन्खा के सुझाव पर केंद्र सरकार जरूर मदद के लिए आगे आएगी।

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वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ बीजेपी ने इसे मानवीय मुद्दा बताते हुए इस विषय राजनीतिक चश्मे से ना देखने की बात कही। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा कि टैक्स की राशि में छूट देने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा है।

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निसंदेह, मासूम अयांश की मदद होना चाहिए। अयांश के लिए जितना हो सके लोगों को भी आगे आना चाहिए, लेकिन एक सवाल जो बार-बार उठ रहा है कि जब महाराष्ट्र की एक बच्ची के माता-पिता की गुहार पर प्रधानमंत्री दवा पर 7 करोड़ का टैक्स माफ कर सकते हैं तो फिर छत्तीसगढ़ के किसी भी सांसद ने इस मुद्दे को आखिर पहल क्यों नहीं की। बीमारी दुर्लभ है, दवा बेहद महंगी है, तो फिर इससे लड़ने के लिए जनसेवा की कसमें खाने वाले सांसदों को अयांश के माता-पिता का दर्द क्यों दिखाई नहीं दिया।

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