रायपुर: अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों को पढ़ाई के लिए बेहतर महौल उपलब्ध कराने के लिए राज्य शासन की ओर से लगातार प्रयास किया जा रहा है। हाल ही में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हर जिले में दो-दो आश्रम और छात्रावासों को आधुनिक सुविधाओं से लैस करने तथा इन्हें उत्कृष्ट केन्द्रों के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए। इसी तारतम्य में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशानुरूप आदिम जाति तथा अनसूचित जाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने बुधवार छह मई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिले के सहायक आयुक्तों को दिशा-निर्देश दिए है।
डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा कि सभी छात्रावास और आश्रमों को आदर्श रूप में विकसित किया जाए। इसके लिए सभी जिलों में कम से कम ऐसे दो-दो छात्रावास का चयन किया जाए जो मुख्यमार्ग के पास हो। यह छात्रावास विधायक द्वारा जिले में गोद लिए गए छात्रावासों के अतिरिक्त हो। चयन किए गए छात्रावासों का क्षेत्रीय विधायक द्वारा अवलोकन कराया जाए। डॉ. टेकाम ने मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए निर्देशों का सभी सहायक आयुक्तों को अनिवार्य रूप से पालन करने कहा। उन्होंने कहा कि छात्रावासों वातावरण ऐसा हो कि बच्चों को घर जैसा वातावरण मिले और वहां जाने के लिए लालायित हो। यहां मूलभूत सुविधाएं, रंग-रोगन, फर्श ठीक हो, खेल का मैदान होना चाहिए, छात्रावास में टाईल्स लगाया जाए। आधुनिक किचन का निर्माण किया जाए। लायब्रेरी और कम्प्यूटर कक्ष स्थापित किया जाए, कम्प्यूटर कक्ष में 5 से 10 कम्प्यूटर रखे जा सकते हैं। छात्रावासों में विभिन्न सामग्री रखने के लिए स्टोरेज की व्यवस्था हो, विद्युत व्यवस्था भी अच्छी होनी चाहिए। हर जिले में मॉडल छात्रावास में सुरक्षा के लिए कैमरा लगाया जाए।
डॉ. टेकाम ने कहा कि वनांचल क्षेत्रों में वनवासियों की आर्थिक उन्नति के लिए लाभदाायक वनों की जानकारी दी जाए और लघुवनोपज से संबंधित वृक्षारोपण के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया जाए। उन्होंने कहा कि वनाधिकार का क्रियान्वयन, निरस्त दावों के प्रकरण का निराकरण पर ध्यान दे। जहां ज्यादा प्रकरण निरस्त हुए है वहां जांच कर ले, वहां तीन पीढ़ी के साक्ष्य की जरूरत होगी तो वहां बुजुर्गों का साक्ष्य ले लिया जाए। वनाधिकार दावों को निपटाने के लिए निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया जाए। जिला स्तर पर निरस्त दावे, दावों पर पुर्नविचार, अंतिम रूप से जिला स्तर पर निराकरण की अद्यतन जानकारी रखी जाए। सामुदायिक दावों में लंबित प्रकरणों के निराकरण पर विचार करें। सामुदायिक वन संसाधन में राजस्व और वन विभाग के समन्वय के साथ कार्य करें। डॉ. टेकाम ने बताया कि वन अधिकार के मामलों के निराकरण में ओडि़सा के बाद छत्तीसगढ़ देश में दूसरे स्थान पर है। इसी प्रकार वनवासियों को दिए गए वनाधिकार मान्यता पत्र के रकबे में भी छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र के बाद दूसरे स्थान पर है।
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आदिम जाति तथा अनसूचित जाति विकास विभाग के सचिव डी.डी. सिंह ने जिले के सहायक आयुक्तों को छात्रावास-आश्रम की आवश्यकता के प्रस्ताव एक सप्ताह के भीतर विभाग को प्रेषित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि छात्रावास उन्नयन के लिए वित्तीय व्यवस्था में विकास प्राधिकरण से राशि उपलब्ध करायी जाएगी। आवश्यकता होने पर विधायक निधि और जिला खनिज निधि (डी.एम.एफ.) से भी राशि उपलब्ध करायी जाएगी। सिंह ने कहा कि छात्रावास और आश्रमों में वहां की दर्ज संख्या अनुसार 25 हजार से 40 हजार रूपए मान से राशि उपलब्ध करायी गई है। जिला स्तर के सभी छात्रावास आदर्श होने चाहिए।
उन्होंने कहा कि छात्रावासों और आश्रमों में उपयोग की जाने वाली सामग्रियों के लिए एक साल में 100 करोड़ रूपए की आपूर्ति महिला समूहों के माध्यम से कर सकते है। इन सामग्रियों की गुणवत्ता से कोई समझौता न करें। उन्होंनेे कहा कि छात्रावास-आश्रमों में बच्चों के लिए गद्दों, चादर के साथ-साथ बाथरूम में पानी और साफ-सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएं। छात्रावास आश्रमों में बाडि़यों में उत्पादित ताजी सब्जियां, साग-भाजी, देवभोग उत्पादित दूध, आश्रमों के बच्चों को पावडर दूध दिया जा सकता है। शक्कर की आपूर्ति खाद्य विभाग या प्रदेश में स्थित शक्कर कारखानों से हो सकती है।
डॉ. सिंह ने बताया कि इस वर्ष खुलने वाले नवीन एकलव्य विद्यालय की सैद्धांतिक सहमति मिल गई है। इन विद्यालयों के भवन निर्माण के लिए खसरा-नक्शा की आवश्यकता होगी। वनाधिकार मान्यताधारी हितग्राहियों को मनरेगा में कार्य उपलब्ध कराने वृक्षारोपण के प्रस्ताव दिए जाए। उन्होंने बताया कि वन उपज से 20 करोड़ रूपए से अधिक के प्रोक्यूरमेंट हो चुुका है। किसान सम्मान निधि से छूटे हितग्राहियों को शेष राशि दिलाने के लिए आधार सीडिंग की कार्रवाई भी की जाए।