भोपाल: कोरोना संक्रमण के इस दौर में एक तरफ़ सख्त प्रशासन और मानवीय मूल्यों की दरकार है लेकिन दूसरी तरफ़ नकली इंजेक्शन के कारोबारी लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं और ढुलमुल प्रशासन का रवैया जले में नमक छिड़कने जैसा है। सरकारी तंत्र के साथ साथ पूरे सिस्टम को कठघरे में खड़ा कर रहा है। पहली घटना गैलेक्सी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से 5 कोरोना मरीजों की मौत से जुड़ी है, जिसमें जांच रिपोर्ट 16 दिनों तक दबा के रख दी गई। दूसरी शहर के सिटी हॉस्पिटल की है जहां खुलआम नकली रेमडेसिविर सप्लाई का गोरखधंधा खुलेआम चल रहा था। हालांकि जबलपुर में क्राइसेस मैनेजमेंट कमेटी की बैठक लेने पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दोषियों को हैवान बताकर सख्त कार्रवाई का दावा किया। लेकिन सवाल है कि नकली रेमडेसिविर का गोरखधंधा होने और गैलेक्सी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से 5 कोरोना मरीजों की मौत के बावजूद उससे 25 लाख का दान लेने वाला प्रशासन वक्त रहते आखिर क्या कर रहा था? सवाल ये भी है कि नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन कितने मरीजों को लगा दिए गए और कहीं कोरोना की दूसरी लहर में मरीजों की मौत के पीछे नकली इंजेक्शंस और दवाएं ही वजह तो नहीं हैं। इसी पर आज तफ्सील से चर्चा करेंगे लेकिन पहले कुछ प्रतिक्रिया सुनाते हैं।
एक तरफ मध्यप्रदेश में कोरोना कहर बनकर टूट रहा है और दूसरी तरफ कुछ मुनाफाखोर आपदा की इस घड़ी में भी अपनी जेबें भरते हुए मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। जबलपुर में जो कुछ हुआ वो सरकारी तंत्र के साथ साथ पूरे सिस्टम को कठघरे में खड़ा कर रहा है। जबलपुर में 2 ऐसी घटनाएं हुईं जो व्यवस्था के मुंह पर तमाचे से कम नहीं। पहली घटना गैलेक्सी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से 5 कोरोना मरीजों की मौत की हुई जिसमें जांच रिपोर्ट 16 दिनों तक दबा के रख दी गई। दावा था 24 घण्टों में जांच का लेकिन जिला प्रशासन ने रैड क्रॉस सोसाइटी के ज़रिए गैलेक्सी अस्पताल से 25 लाख रुपये दान में ले लिए। इस पर पूर्व मुख्यमंत्री ने सवाल उठाए तो कल तक परिजनों के बाहर होने से उनके बयान न होने की बात कर रहे प्रशासन ने आनन फानन में जांच रिपोर्ट पेश कर दी। जांच में दोषी पाए गए गैलेक्सी अस्पताल पर एफआईआर के निर्देश दिए गए और अस्पताल में कोरोना मरीजों के इलाज की अनुमति रद्द कर दी गई।
दूसरी घटना नकली रेमडेसिविर इंजेक्शंस के गोरखधंधे की भी इसी शहर में हुई। मरीजों को नकली इंजेक्शंस लगाने का गोरखधंधा चलता भी रहता लेकिन भला हो गुजरात पुलिस का जिसने इंदौर के रास्ते गुजरात से नकली इंजेक्शंस की सप्लाई लेने वाले दवा कारोबारी सपन जैन को जबलपुर आकर धर दबोचा। जांच में पता चला कि सपन जैन ने विश्व हिंदू परिषद के नेता और जबलपुर के सिटी हॉस्पिटल के डायरेक्टर सरबजीत सिंह मोखा के कहने पर नकली इंजेक्शंस सप्लाई किए थे। सपन जैन को मोखा से 70 लाख रुपयों के पेंडिंग बिल की राशि लेनी थी जिसके बदले मोखा ने उसे रेमडेसिविर की सप्लाई देने की शर्त रखी और दवा कारोबारी की मुलाकात गुजरात के नकली रेमडेसिविर बेचने वाले से भी करवा दी। आज जब मुख्यमंत्री लंबे अंतराल के बाद जबलपुर पहुंचने वाले थे तो प्रशासन ने आपाधापी में दोनों मामलों में कार्रवाई कर दी, जिसमे गैलेक्सी अस्पताल को दोषी पाकर एफआईआर के निर्देश हुए जबकि मरीजों को 500 नकली इंजेक्शंस लगाने वाले सिटी हॉस्पिटल के डायरेक्टर सरबजीत सिंह मोखा सहित 3 आरोपियों पर एफआईआर दर्ज कर ली गई। हालांकि इस कार्रवाई को खानापूर्ति बताक़त कांग्रेस ने बड़े सवाल उठाए हैं और पूरे प्रदेश में हुई रेमडेसिविर कि सप्लाई की जांच की मांग की है।
दूसरी तरफ अब शाशन प्रशासन बड़ी कार्रवाई का दावा कर रहा है। जबलपुर आईजी ने पूरे सम्भाग के जिलों में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शंस की सप्लाई की जांच के लिए पुलिस की एसआइटी गठित कर दी है और जल्द ही पूरे रैकेट तक पहुंच बनाकर सरबजीत सिंह मोखा को गिरफ्तार कर उसपर रासुका की कार्रवाई करने की बात की है। वहीं जबलपुर में क्राइसेस मैनेजमेंट कमेटी की बैठक लेने पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आपदा की इस घड़ी में मरीजों की जान से खिलवाड़ करने वालों को इंसान नहीं हैवान बताया। सीएम ने आरोपियों पर कठोरतम कार्रवाई करने और खुद समीक्षा करने की भी बात की।
हालांकि सरकार और प्रशासन अब सख्त कार्रवाई करने की बात कह रहा है लेकिन कई सवाल हैं जिनका जवाब दिया जाना बाकी है लेक्सी अस्पताल की जांच 16 दिनों तक क्यों दबा कर रखी गई? जांच के घेरे में आये गैलेक्सी अस्पताल से 25 लाख का दान क्यों लिया गया ? 16 दिनों से ठप जांच मुख्यमंत्री के जबलपुर आने से ठीक पहले कैसे शुरू हुई ? गुजरात पुलिस जबलपुर आकर आरोपी दवा कारोबारी को गिरफ्तार नहीं करती तो क्या जबलपुर में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन का गोरखधंधा चलता रहता ? हाईकोर्ट के एतराज के बावजूद चंद अस्पतालों को ओपन मार्केट से रेमडेसिविर खरीदने की छूट क्यों दी गई? मध्यप्रदेश में कितने कोरोना मरीजों को नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाए गए? कोरोना की दूसरी वेव में ज्यादा मौतों के पीछे कहीं नकली रेमडेसिविर और दवाएं तो नहीं ?