भोपाल: मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव प्रचार जोरों पर है। बीजेपी और कांग्रेस के दिग्गज नेता लगातार चुनावी रैलियां कर रहे हैं, लेकिन इन सबके बीच कांग्रेस के ‘चाणक्य’ कहे जाने वाले दिग्विजय सिंह चुनावी रैलियों में दिखाई नहीं दे रही हैं। ऐसे में मध्य प्रदेश में सवाल उठ रहे है क्या चुनावी राजनीति से दिग्विजय सिंह को साइड लाइन किया जा रहा है। मध्यप्रदेश में कई नेता दिखाई दे रहे है पर दिग्विजय सिंह की गैर मौजूदगी चर्चा का विषय बनी हुई है।
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश के चुनावी दंगल में क्या पार्टी से दरकिनार कर दिए गए हैं? सूबे में वोटिंग के लिए 5 हफ्ते भी नहीं बचे हैं। लिहाजा ऐन चुनाव के वक्त दिग्विजय मध्य प्रदेश से गायब नजर आ रहे है? क्या वो सचमुच दरकिनार किए जा रहे हैं या इस बार एक ‘रणनीति’ के तहत ऐसा किया जा रहा है? यह रणनीति है तो किसकी है, कांग्रेस नेतृत्व की या फिर खुद दिग्विजय की? ये सवाल आज कल सियासी गलियारों में चर्चाओं में हैं। वहीं बीजेपी कांग्रेस में दिग्विजय को दरकिनार किए जाने से चिंतित नजर आ रही है। बीजेपी कह रही है कि कांग्रेस के पास एक चेहरा ही नहीं है। जनता उसे वोट दे तो किसको देखकर?
देश और मध्य प्रदेश की सियासत में चुनाव में हमेशा दिग्विजय सिंह बीजेपी के निशाने पर लिया जाने वाला सबसे बड़ा चेहरा है! बीते 25 साल में अब तक के हर चुनाव बीजेपी ने अगर किसी को टारगेट पर रखा है तो वे राघौगढ़ के राजा ही हैं। बीजेपी नेताओं के भाषण ‘मिस्टर बंटाधार’ ने 2003 में बीजेपी को बड़ी सफलता दिलाई थी! चुनाव में बीजेपी का प्रचार जिक्र के बिना खत्म नहीं होता । लोगों को दस साल के उनके राज में सड़क, बिजली, पानी के हाल की याद दिलाई जाती है। बीजेपी दिग्विजय को हर हाल में भड़काने की कोशिशें की जा रही हैं। ताकि वे कुछ बोलें, करें। लेकिन दिग्विजय ‘बैकरूम बॉय’ बने हुए हैं। यही बीजेपी की बेचैनी की वजह है। हालांकि कांग्रेस दिग्विजय सिंह की सक्रियता को लेकर कुछ और ही कहानी बता रही है।
दिग्विजय सिंह अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते है उनकी बेबाकी कई बार मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में कांग्रेस में भारी पड़ी है। राजनीतिक उठापटक के वही माहिर खिलाड़ी दिग्विजय सिंह 2018 के चुनाव में जब कैमरे के सामने कहते नज़र आये थे वो चुनावों में इसलिए प्रचार नहीं करते क्योंकि प्रचार करने से पार्टी के वोट कटते हैं’, तो सवाल उठता है कि क्या एक वक़्त राजनीति के चाणक्य, वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के राजनीतिक गुरु कहे जाने वाले दिग्विजय अब पार्टी में वास्तव में हाशिये पर धकेले जा चुके हैं? या जान बूझकर उन्हें चुनावी राजनीती से दूर रखा जा रहा है।