ग्वालियर: चंबल में अब रेत के बाद पत्थर माफिया हावी हो गए हैं। ग्वालियर और शिवपुरी जिले की जद में आने वाले सोन चिरैया अभ्यारण को केंद्र सरकार ने जब से डी नोटिफाइड किया है। तब से खनन माफिया लगातार सफेद पत्थरों के पहाड़ों को खोखला करने में लगे हैं। वन विभाग की टीम पर लगातार हमले हो रहे हैं, तो वो भी अब सीधी कार्रवाई से बच रही है। जिसके बाद अब पुलिस और वन विभाग की टीम ने एक साथ पत्थर माफिया के खात्मे का प्लान बनाया है।
ये तस्वीरें चोरी छीपे शूट करनी पड़ती है, क्योकि यहां कैमरा निकलना, यानी अपनी मौत को बुलावा देने से कम नहीं है। ऐसा इसलिए कि जब से सोन चिरैया अभ्यारण को केंद्र सरकार ने डी नोटिफाइड किया है, तब से अवैध उत्खनन ज्यादा बढ़ गया है। वन विभाग और प्रशासन की टीमें कार्रवाई के लिए जाती हैं, तो उन पर हमले हो रहे हैं। हालत ये है कि खनन माफियों के वर्चस्व ओर उग्र रूप को देखकर वन विभाग की टीम को ही वापस होना पड़ रहा है।
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पूरे ग्वालियर-चंबल संभाग के हालात यही हैं। क्योकि यहां से निकलने वाला सफेद पत्थर विदेशों में एक्सपोर्ट होता है। जिसका करोडों रूपए का टर्न ओवर है। ऐसे में ऊंची कीमत में बिकने वाले सफेद पत्थर के लिए खनन माफिया खून की नदियां बहाने को तैयार हैं। फिर चाहे वो वन विभाग की टीम हो या पुलिस का अमला। हालांकि हमेशा की तरह जन प्रतिनिधि और प्रशासन आने वाले समय में पत्थर माफिया के खात्मे का दावा कर रहे हैं।
सफेद पत्थर के खनन माफियाओं ने ग्वालियर जिले की 15 से ज्यादा पहाड़ियों को खोखला कर दिया है। जिनमें भटपुरा, तिलावली, आंतरी,डांडा खिरक, भगतखोरा, खाड़ीनाला, जखौदा,सुरेहला और लोंदूपुरा ये वो इलाके शामिल है। देखना ये है कि इन खनन माफियाओं पर लगाम कैसे कसती है?