भोपाल। दिसंबर की सर्दी के बीच मध्यप्रदेश में बदले मौसम के मिजाज से फिलहाल पूरे प्रदेश का माहौल खुशनुमा है। प्रदेश के कई इलाकों में घना कोहरा छाने के साथ हल्की बारिश का दौर जारी है। देश में ये स्थिति दो से तीन दिन और बनी रह सकती है। शुरुआती दौर का मावठा जरूर फसालों के लिए फायदेमंद है, लेकिन यदि कोहरा रहने के साथ रिमझिम बारिश दो से तीन दिन और हुई तो सब्जियों में कीड़े लगने से लेकर कपास की फसल चौपट होने के आसार दिख रहे हैं।
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अरब सागर से लगातार नम हवा आने के कारण मध्य प्रदेश के पूर्वी-पश्चिम क्षेत्र के साथ पूर्वी इलाके में घना कोहरा छाया हुआ है, साथ ही लगातार हल्की बारिश भी हो रही है। भोपाल संभाग के साथ सागर, होशंगाबाद, दमोह, रायसेन, बैतूल, जबलपुर, मंडला, छिंदवाड़ा, नरसिंहपुर और उमरिया में हल्की बारिश हो रही है। सबसे अधिक बारिश मंडला में 6 मिली मीटर दर्ज हुई है।
सबसे घना कोहरा रतलाम में रहा, कोहरे के कारण यहां विजिबिलिटी 50 से लेकर 200 मीटर तक रही, वहीं उज्जैन, भोपाल और मचमढ़ी में विजिबिलिटी 500 मीटर रही । इंदौर, ग्वालियर, राजगढ़ और शाजापुर में 1000 मीटर विजिबिलिटी रही।
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भोपाल में रात और दिन के तापमान में सिर्फ तीन डिग्री सेल्सियस का अंतर है। राजधानी में दिन का तापमान 21 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना हुआ है वहीं रात का तापमान 18 डिग्री सेल्सियस के आसपास है। मौसम केंद्र के अनुसार प्रदेश के कई इलाकों में इस तरह का मौसम दो से तीन दिन तक बने रहने के आसार हैं।
सर्दी के सीजन में हुई हल्की बूंदाबादी ( मावठे) से फसलों की प्राकृतिक रूप से सिंचाई हो गई है। पहले दौर का मावठा फसलों के लिए अमृत की तरह फायदेमंद बताया जा रहा है, लेकिन ऐसी हल्की बारिश दो से तीन दिन तक लगातार हुई तो इससे सब्जियों की सफल चौपट हो सकती है। निरंतर बारिश से मालवा इलाके में कपास की फसल खराब होने की स्थिति भी निर्मित हो रही है। कृषि वैज्ञानिक सलाह दे रहे हैं कि जहां लगातार हल्की बारिश हो रही है, वहां सब्जी की फसल उगाने वाले किसानों को कीटनाशक दवाइयों का उपयोग करना चाहिए।
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घना कोहरा और हल्की बारिश के बीच प्रदेश सर्दी के सितम से फिलहाल दूर ही है। अकेले पचमढ़ी को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश जिलों का न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से अधिक बना हुआ है। हालांकि कोहरा छंटने पर प्रदेशभर में न्यूनतम तापमान में एकाएक गिरावट आएगी, फिलहाल प्रदेश में मौसम की बदली करवट से आमजन से लेकर किसानों के चेहरे खिले हुए हुए हैं।