छत्तीसगढ़ के ​इतिहास में पहली बार मुख्यमंत्री लेंगे वन मंडलाधिकारियों की समीक्षा बैठक | CM bhupesh Baghel will take review meeting of Forest department officers

छत्तीसगढ़ के ​इतिहास में पहली बार मुख्यमंत्री लेंगे वन मंडलाधिकारियों की समीक्षा बैठक

छत्तीसगढ़ के ​इतिहास में पहली बार मुख्यमंत्री लेंगे वन मंडलाधिकारियों की समीक्षा बैठक

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:14 PM IST, Published Date : May 31, 2019/5:13 pm IST

रायपुर: सीएम भूपेश बघेल शनिवार को वन विभाग के वन मंडलाधिकारियों की समीक्षा बैठक लेंगे। राज्य के इतिहास में यह पहला अवसर है, जब प्रदेश के मुखिया द्वारा विशेष रूप से सिर्फ वन विभाग के वन मंडलाधिकारियों की समीक्षा बैठक लेकर कार्यों की समीक्षा की जाएगी। बैठक में वन विभाग के विभिन्न कार्योंक की समीक्षा की जाएगी। बैठक में वन मंत्री मोहम्मद अकबर भी उपस्थित रहेंगे।

Read More: वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों को सौगात, ‘तीरथ बरत योजना‘ के तहत सरकार कराएगी देश के तीर्थ स्थानों का दर्शन

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ राज्य का 44.2 प्रतिशत क्षेत्र वनों से अच्छादित है। आदिवासी बहुल राज्य की लगभग 98 प्रतिशत आदिम जातियों की आबादी वनों एवं इसके आसपास निवासरत है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में नये सरकार द्वारा वनवासियों के हित में अनेक ऐतिहासिक निर्णय लिए गए हैं। तेन्दूपत्ता का संग्रहण दर ढाई हजार से बढ़ाकर चार हजार रूपए प्रति मानक बोरा किया गया है। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर क्रय किए जाने वाले वनोपजों की संख्या 7 से बढ़ाकर 15 की गई है। नरवा, गरूवा, घुरवा, बारी योजना के क्रियान्वयन के लिए भी वन विभाग को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। बैठक में नदी तटरोपण और वनोपज आधारित उद्योगों की स्थापना, हरियर छत्तीसगढ़, हरियाली प्रसार योजना, आगामी वर्षा ऋतु में पौधरोपण जैसे कार्यों की समीक्षा भी की जाएगी। इसके अलावा वनों में अग्नि सुरक्षा हेतु सेटेलाइट आधारित मॉनिटरिंग तकनीक, 7887 संयुक्त वन प्रबंधन समितियों के माध्यम से किए जा रहे ग्राम विकास के कार्यों पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा।

Read More: Watch Video: फूट पड़ा ममता बनर्जी का गुस्सा, जब लोगों ने उनके काफिले के सामने लगाए जय श्रीराम के नारे, कही ये बात…

मुख्यमंत्री द्वारा वन विभाग की विशेष रूप से समीक्षा करना तथा वन सम्पदा को बढ़ावा देने के लिए समय दिया जाना इस बात को इंगित करता है कि छत्तीसगढ़ राज्य की आधी आबादी जो अपनी आजीविका के लिए प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से वनों पर निर्भर है, के विकास के लिए मुख्यमंत्री द्वारा सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है।