रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि बस्तर अंचल के विकास से ही बस्तर की समस्याओं का समाधान होगा। उन्होंने उद्योगपतियों से बस्तर में स्टील सहित खाद्य और लघुवनोपज प्रसंस्करण उद्योगों में निवेश करने का आव्हान किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्टील सेक्टर के उद्योगों के लिए रॉ मटेरियल की कमी नहीं होने दी जाएगी। बस्तर अंचल में उद्योगों की स्थापना के लिए पर्याप्त शासकीय भूमि उपलब्ध है। राज्य सरकार द्वारा स्टील सेक्टर के लिए दी गई छूट का लाभ अधिक से अधिक उद्योगपति उठाएं। इस मौके पर उद्योग मंत्री कवासी लखमा और राज्य खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष राम गोपाल अग्रवाल भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री बघेल आज यहां अपने निवास कार्यालय में छत्तीसगढ़ स्टील एवं स्पंज आयरन उत्पादन संघ के प्रतिनिधि मंडल से चर्चा कर रहे थे। प्रतिनिधि मंडल ने प्रदेश में स्टील उद्योगों के लिए सबसे अच्छी नीति लागू करने के लिए मुख्यमंत्री को बधाई और शुभकामनाएं दी। इस नीति से नए निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी। संघ के प्रतिनिधियों ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा स्टील उद्योगों को प्रतिस्पर्धा में टिके रहने के लिए ऊर्जा प्रभार मंे दी गई छूट से इस सेक्टर के लगभग 85 प्रतिशत उद्योगों को सुरक्षा मिली है। उन्होंने लॉकडाउन के दौरान उद्योगों के संचालन के लिए दी गई छूट के लिए भी मुख्यमंत्री के प्रति आभार प्रकट किया। प्रतिनिधि मण्डल ने कहा कि 08 अक्टूबर 2020 का दिन आने वाले समय में स्टील डे के रूप में याद किया जाएगा। स्टील उद्योगों में नई घोषणा से नया उत्साह आया है। स्टील उद्योगों का जीएसटी वृद्धि अहम योगदान है। पिछले 10 सालों में प्रदेश में कोई नया स्टील उद्योग नही आया है। स्टील उद्योगों को दी गई रियायतों के फलस्वरूप राज्य में नई इकाईयां स्थापित हांेगी।
मुख्यमंत्री ने चर्चा के दौरान कहा कि स्टील उद्योग के साथ-साथ बस्तर की स्थानीय कृषि और लघु वनोपज प्रसंस्करण उद्योगों में भी निवेश का सुझाव देते हुए कहा कि इससे बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। उद्योगों के लिए जिस ट्रेड में कुशल लोगों की आवश्यकता होगी, उस ट्रेड में स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण देने की व्यवस्था भी की जाएगी। बघेल ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान छत्तीसगढ़ के उद्योगपतियों ने श्रमिकों के रहने का इंतजाम किया। श्रमिकों के यहां रूकने के कारण ही अप्रैल माह के अंतिम सप्ताह में उद्योगों में उत्पादन की गतिविधियां प्रारंभ हो गई। लौह अयस्क और कोयला उत्पादन का काम चलता रहा है, इस कारण उद्योगों को रॉ मटेरियल की कमी नही हुई। राज्य सरकार, जिला प्रशासन और उद्योगपतियों के अच्छे समन्वय के कारण प्रदेश में उद्योगों के पहिए नही थमें। इस अवसर पर स्टील एण्ड स्पंज आयरन उत्पादन संघ के विजय कुमार, कैलाश अग्रवाल, उमेश अग्रवाल, अनिल नचरानी, दीपक गुप्ता, प्रदीप टण्डन सहित अनेक पदाधिकारी उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में मंत्री परिषद की बैठक में स्टील सेक्टर के लिए अनेक रियायतों के संबंध में निर्णय लिए गए। छत्तीसगढ़ राज्य की औद्योगिक नीति 2019-24 के अंतर्गत इस्पात (स्पांज आयरन एण्ड स्टील) क्षेत्र के मेगा, अल्ट्रा मेगा प्रोजेक्ट में निवेश हेतु विशेष निवेश प्रोत्साहन पैकेज देने का निर्णय लिया गया। मेगा निवेशकों के लिए घोषित किए गए पैकेज में अधितम 500 करोड़ रूपए तक का निवेश प्रोत्साहन (बस्तर संभाग हेतु 1000 करोड़ रूपए तक) मान्य होगा। प्रस्तावित इकाईयों के लिए 31 अक्टूबर 2024 को अथवा उसके पूर्व व्यावसायिक उत्पादन प्रारंभ करना जरूरी होगा। 100 करोड़ रूपए का स्थाई पूंजी निवेश मद में निवेश कर व्यावसायिक उत्पादन आरंभ करने वाली नवीन इकाईयों को आर्थिक निवेश प्रोत्साहन तभी प्राप्त होगा। स्पंज आयरन एवं स्टील सेक्टर के उद्योगों के लिए विशेष पैकेज घोषित किया गया है। क्षेत्रवार छूट 60 प्रतिशत से 150 प्रतिशत तक देय होगी।
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इसी तरह केबिनेट की बैठक में छत्तीसगढ़ राज्य खाद्य प्रसंस्करण मिशन योजना की सभी चार योजनाएं 31 अक्टूबर 2024 तक लागू करने, राज्य स्तरीय अपीलीय फोरम के गठन के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया है। कृषि आधारित ग्रामीण उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य प्रसंस्करण मिशन में वन अधिकार अधिनियम पट्टाधारी एवं सामुदायिक तथा वन संसाधन अधिकार प्राप्त ग्रामों को विशेष प्राथमिकता दिए जाने का निर्णय लिया गया है।