रायपुरः छत्तीसगढ़ निर्माण के दो दशक बाद भी नक्सली बस्तर की विकास में सबसे बड़ी बाधा बने हुए हैं। बीजेपी हो या कांग्रेस की सरकार आदिवासी बाहुल्य इलाके में विकास और विश्वास बढ़ाने के मोर्चे पर आगे बढ़ने का बार-बार दावा किया, लेकिन बस्तर में आज भी नक्सली और पुलिस आमने-सामने हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अब साफ कर दिया है कि नक्सलवाद के खात्मे के लिए केवल लड़ाई नहीं बल्कि लोगों को समझना और समझाना भी जरूरी है। इसके लिए सरकार लगातार रणनीति बना रही है। बस्तर दौरे पर सीएम बघेल के इस बयान के क्या हैं मायने?
करीब दो दशकों से बस्तर में नासूर बन चुके नक्सलवाद के सफाए के लिए सीएम भूपेश बघेल ने नया फॉर्मूला दिया है। बीते दो सालों में नक्सल मोर्चे पर कांग्रेस सरकार की नीति लेकर विपक्ष हमेशा से सवाल उठाता रहा है, लेकिन अब भूपेश सरकार ने बस्तर में शांति कायम करने के लिए अपना रूख साफ कर दिया है। बीजापुर में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सभा ने कहा कि नक्सलवाद के खात्मे के लिए लड़ना नहीं समझना और समझाना भी जरूरी है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि बस्तर में बातचीत और विकास से ही शांति आएगी। राज्य सरकार इस दिशा में लगातार काम कर रही है।
एक ओर जहां भूपेश सरकार ने नक्सल फ्रंट पर अपनी नई रणनीति को अमल में लाने आदिवासियों और अन्य लोगों को विश्वास में लेने की बात कर रही है, तो दूसरी ओर विपक्ष मुख्यमंत्री के बयान का स्वागत करते हुए तंज कसा कि कांग्रेस की वजह से आज पूरे देश में नक्सलवाद फैला है।
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जाहिर है नक्सलियों ने देश के सबसे सुंदर जगहों में से एक छत्तीसगढ़ के बस्तर को आतंक की आग में झोंक दिया है। बस्तर में बीते 30 सालों में सिलसिलेवार नक्सल घटनाओं में सैकड़ों आम नागरिकों और जवानों ने अपनी जान गंवाई है। हालांकि हर बड़ी नक्सली घटना के साथ सरकारें रणनीति बदलने की बात करते हैं। इतना ही नहीं इसे जड़ से खत्म करने का दम भरने वाली सरकारों पर इनसे सांठगांठ के आरोप लगते रहे हैं। सवाल ये है कि क्या नक्सली समस्या का समाधान क्या है? आखिर वो कौन सा विकल्प है, जिससे बस्तर में शांति बहाल हो सके?