रायपुर: छत्तीसगढ़ की परंपरा और संस्कृतियों को सहेजने का प्रयास कर रही भूपेश सरकार ने छत्तीसगढ़ी परंपरा को सहेजने के लिए एक और कदम बढ़ाया है। सरकार ने हरेली के बाद अब पोला पर्व को व्यापक स्तर पर मनाने का फैसला किया है। हरेली की तर्ज पर 30 अगस्त को सुबह 9 से 10 बजे तक रायपुर स्थित सीएम आवास में पोला पर्व मनाया जाएगा। इसके लिए मुख्यमंत्री निवास में विशेष इंतजाम किया गया है।
तय कार्यक्रम के अनुसार 30 अगस्त को सुबह 9 से 10 बजे तक पोला का कार्यक्रम होगा। इस मौके पर नंदी-बैल की पूजा की जाएगी वहीं पूर्वान्ह 11 बजे से शाम 4 बजे तक तीजा महोत्सव का आयोजन होगा। तीजा महोत्सव के लिए प्रदेश के विभिन्न स्थानों से बहनों को आमंत्रित किया गया है। इस अवसर पर बहनों द्वारा करूभात खाने की रस्म पूरी की जाएगी। साथ ही छत्तीसगढ़ के पारम्परिक खेलों का भी आयोजन रखा गया है।
छत्तीसगढ़ का पोरा तिहार मूल रूप से खेती-किसानी से जुड़ा पर्व है। खेती किसानी में बैल और गौवंशीय पशुओं के महत्व को देखते हुए इस दिन उनके प्रति आभार प्रकट करने की परम्परा है। छत्तीसगढ़ के गांवों में बैलों को विशेष रूप से सजाया जाता है। उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। घरों में बच्चे मिट्टी से बने नंदीबैल और बर्तनों के खिलौनों से खेलते हैं। घरों में ठेठरी, खुरमी, गुड़-चीला, गुलगुल भजिया जैसे पकवान तैयार किए जाते हैं और उत्सव मनाया जाता है। बैलों की दौड़ भी इस अवसर पर आयोजित की जाती है।
छत्तीसगढ़ में तीजा (हरतालिका तीज) की विशिष्ट परम्परा है, महिलाएं तीजा मनाने ससुराल से मायके आती हैं। तीजा मनाने के लिए बेटियों को पिता या भाई ससुराल से लिवाकर लाते है। छत्तीसगढ़ में तीजा पर्व की इतना अधिक महत्व है कि बुजुर्ग महिलाएं भी इस खास मौके पर मायके आने के लिए उत्सुक रहती हैं। महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए तीजा पर्व के एक दिन पहले करू भात ग्रहण कर निर्जला व्रत रखती हैं। तीजा के दिन बालू से शिव लिंग बनाया जाता है, फूलों का फुलेरा बनाकर साज-सज्जा की जाती है और महिलाएं भजन-कीर्तन कर पूरी रात जागकर शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं।
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