रायपुरः किसान रेल की तर्ज पर केंद्र सरकार ने किसानों की फसलों को जल्द से जल्द दूसरे स्थान पर पहुंचाने के लिए कृषि उड़ान संचालित करने का फैसला किया है और इसे ऑपरेशन ग्रीन नाम दिया है। इसके लिए केंद्र सरकार अलग अलग राज्यों में उपलब्ध फसल और वहां पर कृषि उड़ान की संभावना के लिए सर्वे करेगी। रायपुर एयरपोर्ट में भी कार्गो सुविधा के विस्तार के लिए सर्वे किया जाएगा।
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पहले किसान रेल और अब किसान उड़ान की तैयारी। ऑपरेशन ग्रीन्स के तहत कृषि उड़ान के विस्तार के लिए रायपुर एयरपोर्ट का जल्द ही सर्वे किया जाएगा और अगर सर्वे में सब कुछ सही रहा तो जल्द ही रायपुर से भी कृषि उड़ान संचालित की जाएगी और जल्द खराब होने वाली फसल..खासकर टमाटर को न सिर्फ बचाया जा सकेगा। बल्कि किसानों को अतिरिक्त लाभ भी मिलेगा दरअसल लॉकडाउन में सरकार ने किसान रेल का संचालन शुरु किया, जिसके जरिए किसानों की फसलों को बल्क में एक जगह से दूसरे स्थान पर भेजा गया। वो भी 50 फीसदी की फ्रेट सब्सिडी के साथ सरकार की इस योजना का फायदा किसानों को मिला और उनकी फसलों की वाजिब कीमत भी उन्हें मिली। इस दिशा में सरकार ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए ऑपरेशन ग्रीन्स के तहत कृषि उड़ान संचालन करने का फैसला किया है।
ऑपरेशन ग्रीन्स के तहत कृषि उड़ान स्कीम ’का दायरा अभी टमाटर, प्याज और आलू पर लागू है, लेकिन इसमें 22 सड़ने वाले उत्पादों को शामिल करने के लिए इसका दायरा बढ़ाया जा रहा है। छत्तीसगढ़ की अगर बात करें तो यहां पर हर साल हजारों एकड़ में टमाटर की फसल लगती है, लेकिन खपत कम होने के कारण कई बार किसानों को लागत नही मिल पाती। छत्तीसगढ़ में पैदा होने वाले टमाटर पतले होतें है और उसमें पल्प कम होता है, इसलिए वो प्रोसेसिंग के लिए भी उपयुक्त नहीं है। किसान नेता संकेत ठाकुर के मुताबिक छत्तीसगढ़ में हर साल करीब 500 करोड़ रुपए के टमाटर की फसल तैयार होती है। ऐसे में कृषि उड़ान संचालित होने से यहां के टमाटर को दूर-दराज के उन इलाकों मे आसानी से जल्द से जल्द पहुंचाया जा सकेगा।
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सरकार ने किसानों की आय को दोगुना करने लक्ष्य रखा है और सरकार इसके लिए नए नए संसाधनों का इस्तेमाल कर रही है। किसान रेल के बाद कृषि उड़ान भी इस दिशा में कदम है। ऑपरेशन ग्रीन से किसानों को अतिरिक्त आय हो न हो, लेकिन इतना जरुर है की उनकी फसल बर्बाद नहीं होगी और उनकी लागत निकल जाएगी। अब देखना है की टमाटर की बंपर पैदावर और कार्गो सुविधा के बाद भी यहां पर कृषि उड़ान के संचालन को ग्रीन सिग्नल मिलता है की नहीं।