रायपुर: अगर सब कुछ ठीक रहा तो, जल्द ही शहर सत्ता में महिलाओं को बराबरी की हिस्सेदारी मिलेगी। इसके लिए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से नगरीय निकायों में 50% महिला आरक्षण के लिए अभिमत मांगा है। इसे लागू करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने अपनी सहमति दे दी है। हालांकि अंतिम फैसला सभी राज्यों से प्राप्त अभिमत के बाद केंद्र सरकार लेगी। लेकिन सवाल उठ रहा है कि नगरीय निकायों में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण देने से प्रदेश की राजनीति में क्या बदलाव आएगा? इस फैसले को लेकर सियासी पार्टियां क्या सोचती हैं?
नगरीय निकायों में आधी आबादी को बराबर की हिस्सेदारी देने की तैयारी शुरू हो गई है। इसके लिए पहल करने वाले राज्यों में शुमार हो गया है छत्तीसगढ़। दरअसल केंद्र सरकार ने इसके लिये सभी राज्यों से अभिमत मांगा था, जिस पर भूपेश कैबिनेट ने इसे लागू करने के पक्ष में अपनी सहमति दी। नगरीय प्रशासन विभाग अब विधिवत इसका प्रस्ताव केंद्र को भेजेगा। प्रदेश में 14 नगर निगम, 43 नगर पालिका और 112 नगर पंचायत मिलाकर 169 निकायों में 3260 वार्ड हैं। फिलहाल नगरीय निकायों में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण है। इस लिहाज से महिला पार्षदों की संख्या 1076 है। 50 फीसदी आरक्षण लागू होने पर 605 महिला पार्षद और बढ़ जाएंगे। निकायों में 50% महिला आरक्षण लागू करने के फैसले का बीजेपी और कांग्रेस की महिला नेताओं ने स्वागत किया है।
इससे पहले 2007-08 में रमन सरकार ने नगरीय क्षेत्रों में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण का निर्णय लिया गया, जिसके बाद छत्तीसगढ़ की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी। राज्य सरकार को अपनी कई योजनाओं में बदलाव करना पड़ा। अब महिलाओं के 50% आरक्षण पर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही सहमत नजर आ रहे हैं।
वैसे छत्तीसगढ़ की राजनीति में महिलाओँ की हिस्सेदारी की बात करें तो वर्तमान में विधानसभा में 14 विधायक, लोकसभा में 3 सांसद और राज्यसभा में भी 3 सांसद आधी आबादी का प्रतिनिधित्व कर रही है। प्रदेश के ग्राम पंचायतों में महिलाओं के लिए 50% आरक्षण है, लेकिन निकायों में महिलाओं को 50 फीसदी की हिस्सेदारी के लिए अभी लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। अभी सभी राज्यों से केंद्र सहमति लेगा। इसके बाद शहरी विकास मंत्रालय विधिवत कानून संसद में लाएगा। इसके पारित होने के बाद राज्य इसे लागू कर सकेंगे।