रिपोर्ट- राजेश मिश्रा, रायपुर: BJP unable to raise any issue छत्तीसगढ़ में डेढ़ साल बाद विधानसभा चुनाव होने है। सत्तापक्ष और विपक्ष अपने-अपने लक्ष्यों को लेकर चुनाव मैदान में उतर चुकी है। कांग्रेस के लिए जहां संगठन और सरकार दोनों ग्राउंड पर उतर चुके हैं, तो दूसरी ओर बीजेपी अब तक मजबूत विपक्ष की भूमिका में नजर नहीं आई। वैसे जब-जब प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वीर छत्तीसगढ़ दौरे पर आते हैं तो पार्टी में हलचल और सक्रियता नजर आती है। लेकिन जैसे ही उनकी वापसी होती है 15 साल तक सत्ता में ही बीजेपी एकला चलो की तर्ज पर नजर आती है, जिसे लेकर अब कांग्रेस भी चुटकी ले रही है। अब सवाल है कि मिशन 2023 को लेकर विपक्ष सुस्त क्यों है? क्या अकेली पुरंदेश्वरी के सहारे बीजेपी सत्ता में वापसी कर पाएगी?>>*IBC24 News Channel के WhatsApp ग्रुप से जुड़ने के लिए Click करें*<<
BJP unable to raise any issue मिशन 2023 से पहले बीजेपी प्रभारी डी पुरंदेश्वरी पूरी तरह सक्रिय हैं। प्रदेश का दौरा कर लगातार कार्यकर्ताओं से फीडबैक ले रही है। 26 और 27 मई को कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में पार्टी पदाधिकारी जुटे और चुनावी रणनीतियों पर मंथन किया। बैठक के बाद बीजेपी नेताओं ने बताया कि बूथ को मजबूत करने 1 जून से बीजेपी पखवाड़ा अभियान कार्यक्रम करेगी, जिसमें सभी बीजेपी सांसद-विधायक और प्रदेश पदाधिकारी बूथ तक जाएंगे।
वैसे जब-जब पुरंदेश्वरी छग दौरे पर आती हैं सभी नेता एकजुट नजर आते हैं और आक्रामक भी, लेकिन जैसे ही पुरंदेश्वरी दौरा कर लौट जाती है पार्टी नेता सुस्त पड़ जाते हैं। पूरी पार्टी बिखरी-बिखरी सी नजर आती है। सवाल ये है कि डी पुरंदेश्वरी को बार-बार आकर क्यों नेताओं को चार्ज करना पड़ रहा? आखिर 15 साल तक सत्ता में रहने वाली पार्टी कांग्रेस सरकार के खिलाफ कोई मुद्दा खड़ा क्यों नहीं कर पा रही? क्या इसकी वजह अंदरूनी गुटबाजी है, जो 2018 विधानसभा में पार्टी की हार की सबसे बड़ा कारण बना था। वजह चाहे जो भी हो लेकिन सत्तारूढ़ कांग्रेस को तंज कसने का मौका मिल गया है, तो वहीं बीजेपी अपने आपको डिफेंड करने कांग्रेस को आईना दिखा रही है।
कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी भले पलटवार करें, लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि 15 साल तक सत्ता में रहने के बाद बीजेपी 2018 में हार के बाद कभी भी एकजुट होकर एक मजबूत विपक्ष के तौर पर नजर नहीं आई है। अब जब चुनाव में कुछ महीने बाकी है। सत्तापक्ष जहां पूरी तरह चुस्त और ग्राउंड पर उतर चुका है, तब डी पुरंदेश्वरी बीजेपी नेताओं को एक्टिव और एकजुट करने में ही जुटी है। अब सवाल है कि केवल प्रदेश प्रभारी के सहारे बीजेपी की नैया पार लगेगी ?
Read More: शेख जफर शेख बने चैतन्य सिंह राजपूत, विधि विधान से ग्रहण किया हिंदू धर्म