(रिपोर्टः राजेश मिश्रा) रायपुरः 6 अप्रैल 1980 को अस्तित्व में आई बीजेपी को 42 साल हो गए। मौजूदा वक्त में बीजेपी अपने शिखर पर है। देश में जहां बीजेपी का ग्राफ लगातार बढ़ा है। वहीं छत्तीसगढ़ में 2018 के बाद पार्टी का ग्राफ लगातार नीचे की ओर गया है। आखिर इसके पीछे की क्या वजहें रहीं? विपक्ष के रूप में बीते 3 साल में पार्टी का प्रदर्शन क्या रहा..और सबसे बड़ा सवाल ये कि 2023 की तैयारियों में जुटी छग बीजेपी इस वक्त कहां खड़ी है?
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कभी लोकसभा चुनाव में मात्र दो सीटें जीतने वाली बीजेपी आज पूरे देश की कमान संभाल रही है।16 राज्यों में भी उसकी सरकार है। लेकिन जहां तक
छत्तीसगढ़ में 15 साल तक सत्ता में रहने के बाद विपक्ष में बैठी बीजेपी का सवाल है तो वो हमेशा बिखरी हुई नजर आई। बीते 3 साल में वो न तो सरकार के खिलाफ कोई बड़ा मुद्दा उठा पाई न ही एक आक्रामक विपक्ष की भूमिका निभा पाई। जिसका नतीजा है कि 2018 के बाद हुए तीनों उपचुनाव में एक भी सीट पर उसे सफलता नहीं मिली। निकाय और पंचायत चुनावों में भी पार्टी की सारी रणनीति फेल हुई। जिसे लेकर सत्तारूढ़ कांग्रेस भी तंज कस रही है कि गुटबाजी की शिकार बीजेपी का पतन निश्चित है।
जाहिर है छत्तीसगढ़ में तीन साल बाद भी कांग्रेस हर चुनाव में बीजेपी पर 20 साबित हुई है। दूसरी ओर एक के बाद एक करारी हार से बीजेपी खेमे में खलबली मची हुई है। हालांकि पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का कहना है कि बीजेपी ने पिछले 3 साल के दौरान विपक्ष में रहते हुए जनहित के कई मुद्दे सदन से लेकर सड़क तक उठाए हैं।
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बीजेपी लाख दावे करे कि वो जनता से जुड़े मुद्दों को लगातार उठाकर कांग्रेस सरकार को घेर रही है लेकिन चुनाव के नतीजे बताते हैं कि पार्टी का ग्राफ 2018 के बाद लगातार गिरा है। इसके पीछे कई वजह गिनाई जाती है। अब जब मिशन 2023 के लिए बीजेपी चुनावी मोड में है तो सवाल उठ रहा है कि इस वक्त वो कहां खड़ी है।