अंबिकापुरः TS Singhdeo on Babri Mosque छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी सीएम और कांग्रेस के दिग्गज नेता टीएस सिंहदेव के एक बयान को लेकर प्रदेश की सियासत गर्म हो गई है। भाजपा ने उन्हें हिंदू विरोधी तक बता दिया। दरअसल, टीएस सिंहदेव ने कहा था कि अयोध्या के बाबरी मस्जिद के समय जो फैसला सुनाया गया, उस फैसले में किसी भी जज के हस्ताक्षर नहीं है। यह फैसला देश में बनी अप्रिय स्थिति को खत्म करने के लिए लिया गया। भाजपा ने इसका वीडियो एक्स पर भी शेयर किया था।
TS Singhdeo on Babri Mosque भाजपा नेताओं के निशाने पर आने के बाद टीएस सिंहदेव ने कहा कि मैंने जानबूझकर सोच समझकर ऐसा बयान है। पार्टी के पदाधिकारियों के साथ-साथ लोगों तक यह सच्चाई पहुंचे ये बहुत जरूरी है। बाबरी मस्जिद के फैसले में किसी जज ने दस्तखत नही किए थे, ये मुझे अब पता चल रहा है। उस समय ये पुख्ता जानकारी नहीं थी कि मस्जिद के नीचे राम मंदिर था या नहीं। यह फैसला सिर्फ बाबरी मस्जिद के लिए सुनाया गया न कि 1991 के प्लेस ऑफ वरशिप के कानून को प्रभावित करने के लिए। मेरा बयान कहीं भी हिन्दू विरोधी नहीं है। मैंने इस बात का विरोध नहीं किया कि राम मंदिर क्यों बनाया गया?
टीएस सिंहदेव ने कहा था कि बाबरी मस्जिद के फैसले में किसी भी जज के हस्ताक्षर नहीं थे और यह फैसला देश में बनी अप्रिय स्थिति को खत्म करने के लिए लिया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि इस फैसले से 1991 के प्लेस ऑफ वरशिप कानून को प्रभावित नहीं किया गया था।
भाजपा ने टीएस सिंहदेव के बयान को हिंदू विरोधी करार दिया और उनका यह बयान पार्टी और जनता के बीच विवाद का कारण बना। भाजपा ने इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर भी शेयर किया।
टीएस सिंहदेव ने अपने बयान का बचाव करते हुए कहा कि उनका बयान जानबूझकर और सोच-समझकर था। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य किसी भी धर्म का विरोध करना नहीं था और उन्होंने राम मंदिर निर्माण पर भी कोई विरोध नहीं किया।
बाबरी मस्जिद का विवाद 2019 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद समाप्त हुआ, जिसमें मंदिर निर्माण के पक्ष में फैसला दिया गया था और मुस्लिम समुदाय को अयोध्या में दूसरी जगह मस्जिद निर्माण के लिए दी गई थी।
टीएस सिंहदेव के बयान में बाबरी मस्जिद के फैसले से संबंधित कुछ तथ्य सामने आए थे, जिससे भाजपा और कुछ अन्य नेताओं ने इसे हिंदू विरोधी के रूप में लिया और राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया।