Today every woman needs to become Rani Laxmibai says Anusuiya Uikey

आज हर महिला को रानी लक्ष्मीबाई बनने की आवश्यकता: राज्यपाल अनुसुइया उइके

आज हर महिला को रानी लक्ष्मी बाई बनने की आवश्यकता है। उन्हें चाहिए दूसरे महिला के साथ अत्याचार हो रहा है तो उसे रोके और उसकी मदद करें

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Modified Date: November 29, 2022 / 07:58 PM IST
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Published Date: August 13, 2021 6:51 pm IST

रायपुर। आज के परिवेश में हर महिला को सशक्त होने की आवश्यकता है। यदि किसी महिला को उनके अधिकारों की प्राप्ति नहीं होती है तो इसका कारण उनमें आत्मविश्वास की कमी हो सकती है। आज हर महिला को रानी लक्ष्मी बाई बनने की आवश्यकता है। उन्हें चाहिए दूसरे महिला के साथ अत्याचार हो रहा है तो उसे रोके और उसकी मदद करें और आत्मविश्वास बनाएं रखें। यह बातें राज्यपाल अनुसुईया उइके ने हेमचंद यादव विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं की भूमिका विषय पर आधारित वेबीनार को संबोधित कर रही थी। राज्यपाल ने ऑनलाइन प्रतियोगिता में शामिल प्रतिभागियों को बधाई दी।

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राज्यपाल ने कहा कि आजादी के 75 वर्ष के अवसर पर अमृत महोत्सव मना रहे है। हमारी स्वतंत्रता संग्राम में अनेकों लोगों ने योगदान दिया। इसमें से अनेकों का नाम हम जानते है, मगर कई ऐसे है जो गुमनामी में खो गए है। हमारी शिक्षा प्रणाली में ऐसे महानायकों का उल्लेख बहुत कम मिलता है। नई पीढ़ी को ऐसे महानायकों की जानकारी मिले, इसलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ऐसे महानायकों को याद करने के उद्देश्य से अमृत महोत्सव के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।

राज्यपाल ने कहा कि आजादी के इस लड़ाई में पुरूष एवं महिला ने संयुक्त रूप से योगदान दिया। रानी लक्ष्मीबाई, रानी दुर्गावती, सरोजनी नायडु, सूचेता कृपलानी जैसे अनेकों नाम है जिन्होंने आजादी की लड़ाई में अपना योगदान दिया। राज्यपाल ने कहा कि उस समय महिलाओं की स्थिति अपेक्षाकृत जागरूकता कम थी, तब भी उनमें इतना जज्बा था कि उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।

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उन्होंने ने कहा कि सन् 1857 का विद्रोह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम वह घटना थी जिसकी नायक एक नारी थी। उस नारी की प्रशंसा अंग्रेज भी करते थे। लक्ष्मीबाई की नेतृत्व क्षमता को देखकर अंग्रेज सेनापति ने कहा था कि यह महिला बहुत बहादुर तथा सर्वश्रेष्ठ हैं। बेगम हजरत महल के सैनिक दल में शामिल महादेवी ने अकेले बत्तीस अंग्रेज सैनिकों को मार गिराया था।

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राज्यपाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ की महिलाएं भी त्याग और बलिदान के लिए जानी जाती है। सन् 1920 में महात्मा गांधी के रायपुर प्रवास पर उनके द्वारा की गई दान की अपील से प्रभावित होकर महिलाओं ने अपने गहने, वस्त्र तथा नगद राशि बड़ी मात्रा में दान कर दी। गांधी जी के प्रभाव में महिलाएं गांव-गांव में स्वतंत्रता आन्दोलन का प्रचार करने लगी। राज्यपाल उइके ने कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था कि जब कभी भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास लिखा जायेगा भारतीय महिलाओं के त्याग को उच्च स्थान प्राप्त होगा। अनेक ऐसी महिलाएं है जिनका भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में महत्वपूर्ण योगदान हैं। हमें उनसें प्रेरणा लेनी चाहिए।