कोरोना काल में वनोपजों के संग्रहण और रोजगार के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ की पहल सराहनीय: केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुण्डा |The initiative of Chhattisgarh in the field of collection and employment of forest produce during the Corona period is commendable: Union Minister Arjun Munda

कोरोना काल में वनोपजों के संग्रहण और रोजगार के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ की पहल सराहनीय: केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुण्डा

कोरोना काल में वनोपजों के संग्रहण और रोजगार के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ की पहल सराहनीय! The initiative of Chhattisgarh in the field of collection and employment of forest produce during the Corona period is commendable: Union Minister Arjun Munda

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:59 PM IST, Published Date : August 28, 2021/7:50 pm IST

रायपुर: केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुण्डा ने कोविड-19 के संक्रमण के दौर में पिछले दो वर्षाें में लघु वनोपजों के संग्रहण, वैल्युएडिशन और रोजगार के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किए गए कार्याें की सराहना की है। उन्होंने कहा कि एक ओर कोविड-19 वैश्विक महामारी का डर था, तो दूसरी ओर यह चुनौती भी थी कि वनोपज संग्राहकों के बड़े वर्ग को वनोपजों के संग्रहण से मिलने वाला रोजगार छिन न जाए। ऐसे में छत्तीसगढ़ ने वनोपजों का संग्रहण करने की पहल की और लोगों को रोजगार दिलाया। केन्द्रीय मंत्री मुण्डा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ उनके रायपुर निवास कार्यालय में आयोजित बैठक में छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचलों में संचालित विभिन्न योजनाओं की समीक्षा कर रहे थे।

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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केन्द्रीय मंत्री मुण्डा से छत्तीसगढ़ को केन्द्रीय जनजातीय मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ दिलाने का आग्रह किया। उन्होंने छत्तीसगढ़ में वनोपजों के संग्रहण, वैल्यूएडिशन के साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में संचालित योजानाओं की विस्तार से जानकारी दी।

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केन्द्रीय मंत्री ने बैठक में कहा कि राज्य सरकार और ट्राईफेड के समन्वय से पिछले दो वर्षाें में छत्तीसगढ़ में वनोपजों के संग्रहण और वैल्युएडिशन में उत्साहवर्धक परिणाम मिले हैं। इस क्षेत्र में छत्तीसगढ़ को अवार्ड दिया गया है। इस उपलब्धि के लिए उन्होंने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, लघु वनोपजों संग्राहकों और अधिकारियों को बधाई दी। मुण्डा ने कहा कि वन क्षेत्र के लोगों को आय का जरिया और रोजगार दिलाने की गतिविधियां लगातार चलती रहें। उन्होंने कहा कि ट्रायबल विद्यार्थियों को पूरे देश में एक जैसी शिक्षा मिले, इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर पहल की जा रही है। क्योंकि प्रोफेशनल एजुकेशन के क्षेत्र में मेडिकल और टेक्निकल एजुकेशन की प्रवेश परीक्षाएं अब राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित हो रही हैं। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि छत्तीसगढ़ में स्कूल शुरू हो गए हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में जनजातियों के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में निरस्त हुए वन अधिकार मान्यता पत्रों की पुनर्समीक्षा की जा रही है।

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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि राज्य सरकार ने यह प्रयास किया कि वनवासियों की आय में कमी न हो। यह कार्य लगातार चलता रहे। तेंदूपत्ता संग्रहण का काम भी न रूके। छत्तीसगढ़ सात राज्यों से घिरा प्रदेश है, ऐसे में यहां कोरोना संक्रमण को रोकना काफी चुनौती पूर्ण था। इसके बावजूद भी जब पूर्ण लॉकडाउन था, तब राज्य सरकार ने स्व-सहायता समूहों के माध्यम से संग्रहण का कार्य संचालित किया। वनोपजों का स्व-सहायता समूहों को अच्छी कीमत भी मिली। तेंदूपत्ता संग्रहण और मनरेगा के काम भी साथ-साथ चलते रहे। इन कार्याें में भी वनवासियों को भरपूर रोजगार मिला। समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने वाले लघु वनोपज की संख्या 7 से बढ़ाकर 52 कर दी गई, वहीं कोदो-कुटकी का समर्थन मूल्य 3 हजार रूपए प्रति क्विंटल तय किया गया। बस्तर अंचल में स्व-सहायता समूहों को लघु वनोपजों के वैल्युएडिशन के काम में भी रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। बस्तर का काजू अन्य प्रदेशों के व्यापारी 50 रूपए किलो में खरीदते थे, यही काजू स्व-सहायता समूहों के माध्यम से 100 रूपए में खरीदा गया, वैल्युएडिशन के बाद यह 1900 रूपए में बिक रहा है। इसी तरह बस्तर अमचूर भी 600 प्रति किलो के मान से अन्य प्रदेशों को भेजा जा रहा है।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि वनवासियों को 4 लाख 41 हजार से अधिक वन अधिकार मान्यता पत्र और 44 हजार 524 सामुदायिक वन पट्टे बांटे गए हैं। राज्य में पहली बार ढाई हजार से अधिक सामुदायिक वन संसाधन अधिकार दिए गए हैं। निरस्त पट्टों की पुनर्समीक्षा की जा रही है। बघेल ने प्रदेश में शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए गए कार्यों की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वर्षों से बंद 92 स्कूलों को पुनः शुरू किया गया। आदिवासी अंचलों में अब डॉक्टरों की कमी नहीं है। मलेरिया उन्मूलन अभियान से मलेरिया के प्रकरणों में 35 प्रतिशत और मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के चलते प्रदेश स्तर पर कुपोषण के स्तर में 33 प्रतिशत की कमी आयी है। उन्होंने बताया कि गरीब बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा के लिए 172 स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल प्रारंभ किए गए है। आदिवासी विकासखंडों में एक-एक स्कूल प्रांरभ किए गए हैं।

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इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के आदिम जाति और अनुसूचित जाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने केन्द्रीय मंत्री के प्रति आभार प्रकट किया। बैठक में कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर, उद्योग मंत्री कवासी लाखमा, खाद्य मंत्री अमरजीत भगत, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, अतिरिक्त मुख्य सचिव सुब्रत साहू, आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विभाग के सचिव डी.डी. सिंह, प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख राकेश चतुर्वेदी, ट्राईफेड के प्रबंध निदेशक प्रवीर कृष्ण और प्रबंध संचालक राज्य लघु वनोपज संघ संजय शुक्ला भी उपस्थित थे।

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