रायपुरः प्रदेश के 15 निकायों में आगामी 20 दिसंबर को मतदान है। दोनों दलों के दफ्तरों में इस वक्त चुनाव मैदान में जिताई उम्मीदवार उतारने की कवायद जारी है। कांग्रेस और भाजपा अपने-अपने फॉर्मूले के हिसाब से समितियां बनाकर प्रत्याशियों के नाम फायनल करने में जुटे हैं। दलों के दिग्गजों को प्रभारी के तौर पर जीत की जिम्मेदारी भी सौंपी जा चुकी है। ये नगर सरकार के चुनाव हैं जहां कई वार्डो में जीत-हार का अंतर महज इकाई-दहाई का होता है। इसलिए दोनों पार्टी को चूक करना नहीं चाहतीं तो कौन क्या तैयारी कर रहा है और नगर संग्राम के लिए प्रत्याशी चयन के लिए किसका फॉर्मूला ज्यादा पुख्ता है। इसी पर होगी बात।
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छत्तीसगढ़ के 4 नगर निगम, 5 नगर पालिका और 6 नगर पंचायतों में चुनावी बिगुल बज चुका है। प्रदेश के 15 निकायों के 370 वार्डों में होने जा रहे चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों में हजारों की संख्या में टिकट के दावेदार हैं। जिनमें से सही उम्मीदवार को उतारना और बाकी को साधना भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए चुनौती है। इसके लिए कांग्रेस ने वार्ड स्तर पर एक समिति बनाकर संबंधित दावेदार के बारे में आम जनों से रायशुमारी शुरू की है। जिसकी रिपोर्ट के आधार पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रत्याशी पर अंतिम निर्णय लेगी।
इधर भाजपा संभावित प्रत्याशियों की सूची जिला चयन समिति को भेजेगी। जहां से इसे चर्चा के बाद संभागीय चयन समिति को भेजा जाएगा फिर आखिर में प्रदेश के वरिष्ठ पदाधिकारियों से चर्चा कर प्रत्याशियों ने नाम घोषित होंगे…प्रत्याशी चयन को लेकर दोनों पार्टियों में 1-1 बैठकें हो चुकी है। निकाय वार प्रभारी भी तय कर दिए गए हैं। सोमवार को कांग्रेस पार्टी ने निकाय चुनाव के लिए घोषणा पत्र समिति की एक बैठक हुई जिसमें निकायों के सर्वांगीण विकास के लिए शामिल वादों पर विस्तार से बात हुई है। जल्द ही सीएम भूपेश बघेल और पीसीसी चीफ मोहन मरकाम घोषणापत्र जारी करेंगे।
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एक तरफ दोनों दल इस वक्त प्रत्याशी चयन के लिए माथापच्ची कर रहे हैं तो दूसरी तरफ शहरी जनता को रिझाने के लिए दोनों पार्टी घोषणा पत्र को लोकलुभावन बनाने की तैयारी में जुटी हैं। हालांकि इस बीच कुछ जगहों पर नेताओं के बीच आपसी तालमेल की कमी दिक्कतें बढ़ा सकती है। वैसे फिलहाल कांग्रेस और भाजपा दोनों ही अपनी-अपनी जीत का दावे कर रहे हैं।
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फिलहाल दोनों दलों के दावेदार अधिकृत प्रत्याशी बनने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। इसीलिए दोनों पार्टियों में सही प्रत्याशी उतारने के साथ-साथ असंतुष्टों को साधना बड़ी चुनौती है। सवाल ये कि इस कवायद में कौन कितना आगे निकल पाता है?
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