Villagers encamped with bow and arrow in hand

Surguja News: हाथ में तीर-धनुष लेकर ग्रामीणों ने जमाया डेरा, आक्रोश में बोले- प्लांट के लोग तो दूर.. दम है तो आला अधिकारी गांव में घुस कर दिखाएं

हाथ में तीर-धनुष लेकर ग्रामीणों ने जमाया डेरा, आक्रोश में बोले- प्लांट के लोग तो दूर.. दम है तो आला अधिकारी गांव में घुस कर दिखाएं Villagers encamped with bow and arrow in hand Villagers encamped with bow and arrow in hand

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Modified Date: March 27, 2023 / 01:01 PM IST
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Published Date: March 27, 2023 12:58 pm IST

Villagers encamped with bow and arrow in hand: सरगुजा। छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य सरगुजा के बतौली ब्लॉक के 10 से ज्यादा गांव में प्रस्तावित करोड़ों रूपये के प्रोजेक्ट मां कुदरगढ़ी एलुमिना रिफाइनरी प्लांट को लेकर हजारों ग्रामीणों ने अपने जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए प्लांट नहीं लगने को लेकर पुरजोर विरोध तेज कर दिया है। आपको बता दे कि एक तीर एक कमान,प्लांट नहीं लगने को लेकर सभी आंदोलनकारी एक साथ का नारा लगाते हुए और लाठी-डंडे से लैस हाथ में तीर-धनुष, गुलेल और राष्ट्रीय ध्वज पकड़े इन ग्रामीणों का किसी राजनीतिक दलों से तालुकात नहीं है और ये ग्रामीण न ही किसी आंदोलन के लिए धरने पर बैठे हैं।

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4 सालों से विरोध प्रदर्शन कर रहे ग्रामीण

दरअसल, ये आदिवासी बाहुल्य सरगुजा के बतौली ब्लॉक के 10 से ज्यादा गांव के हजारों की संख्या वाले ग्रामीण है, जो अपने जल,जंगल जमीन और अपने गांव को प्रदूषण से बचाने के लिए बतौली ब्लॉक के चिरगा सहित 7 से ज्यादा गांव के एरिया में प्रस्तावित करोड़ों रूपये के फैक्ट्री के खिलाफ पिछले 4 सालों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। आपको बता दे कि सीतापुर अनुविभाग मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर बतौली ब्लॉक के ग्राम पंचायत चिरंगा में मां कुदरगढ़ी एलुमिना रिफाइनरी फैक्ट्री प्रस्तावित।  इस फैक्ट्री की स्थापना लगभग 25 सौ एकड़ में होनी है, लेकिन इस क्षेत्र में निवासरत बड़ी संख्या में ग्रामीण नहीं चाहते कि ग्राम पंचायत चिरंगा में मां कुदरगढ़ी एलमुनियम रिफाइनरी फैक्ट्री की स्थापना हो, क्योंकि कंपनी द्वारा इस फैक्ट्री फर्जी ग्राम सभा प्रस्ताव पारित करके कराया गया है। IBC24 से खास बातचीत में ग्रामीणों ने बताया, कि फैक्ट्री की स्थापना के बाद एक तरफ जहां उनके जल जंगल जमीन को उजाड़ा जाएगा, जबकि दूसरी ओर आने वाले समय में ग्रामीणों को प्रदूषण का सामना भी करना पड़ेगा जिसका असर ग्रामीणों की सेहत पर पड़ेगा।

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हाथ में तीर कमान लेकर पहाड़ पर डेरा जमाया

यही कारण है कि 10 से ज्यादा ग्राम पंचायत के ग्रामीण बड़ी संख्या में पिछले 4 सालों से ग्राम चिरंगा स्थित पहाड़ पर डंडा से लैस होकर और हाथ में तीर कमान लेकर डेरा जमाए हुए हैं ताकि फैक्ट्री प्रबंधन उनकी मांद में घुसकर फैक्ट्री की स्थापना न कर सके। वहीं ग्रामीणों के अधिवक्ता राजेश गुप्ता की मानें तो इधर ग्राम चिरंगा में प्रस्तावित फैक्ट्री की स्थापना के लिए अब जमीन सीमांकन की प्रक्रिया शुरू होने के कगार पर है,वहीं ग्रामीणों की ओर से लड़ाई लड़ रहें अधिवक्ता राजेश गुप्ता ने यह भी बताया कि प्रशासन ने सीमांकन प्रक्रिया को पूरी करने के लिए राजस्व अमले का गठन भी कर दिया लेकिन जिला प्रशासन के सामने सीमांकन प्रक्रिया को पूरी करना किसी चट्टान को तोड़ने के बराबर है, वहीं प्रस्तावित फैक्ट्री के विरोध में मोर्चा खोले ग्रामीणों के तेवर और तैश को देख कर तो लगता नही कि जिला प्रशासन आसानी से सीमांकन प्रक्रिया को पूरी कर पाएगी इसलिए ग्रामीणों को जबरन फर्जी केस में फंसाकर उन्हें डराया जा रहा है।

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दरअसल चिरगा में बीते दिनों यानी शनिवार को सुरक्षा कवच पहनकर कलेक्टर कुंदन कुमार और पुलिस अधीक्षक भावना गुप्ता फैक्ट्री के विरोध में पहाड़ पर बैठे ग्रामीणों से मिलने पहुंचे थे, ताकि कुछ बातचीत के जरिए बीच का रास्ता निकल सके लेकिन इस दौरान प्रशासनिक अधिकारियों को ग्रामीणों के विरोध और कड़क रवैये का सामना करना पड़ा,वहीं काफी देर तक हुई ग्रामीणों से बातचीत के बाद भी कोई हल नहीं निकला हालांकि इस मामले में सरगुजा कलेक्टर कुंदन कुमार का कहना है कि खुद 90 ग्रामीणों के द्वारा जमीन सीमांकन के लिए आवेदन किया गया है, जबकि प्रस्तावित फैक्ट्री से संबंधित सीमांकन की प्रक्रिया से जिला प्रशासन का कोई लेना देना नहीं है।

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Villagers encamped with bow and arrow in hand: पूरें मामलें में जब IBC24 की टीम ने क्षेत्रीय विधायक और प्रदेश के खाद्य नागरिक आपूर्ति मंत्री अमरजीत भगत से बातचीत की तो उन्होंने बताया, कि मैं हमेशा से ग्रामीणों के साथ हूं। इसलिए मैंने पहले ही बोल दिया है कि यदि ग्रामीण चाहेंगे तो प्लांट लगेगा और नहीं चाहेंगे तो प्लांट नहीं लगेगा। मैं पहले भी ग्रामीणों के पास गया था बातचीत के लिए, लेकिन भीड़ ने मुझसे बातचीत ही नहीं कि। इसलिए मैं दुबारा फिर उनसे बातचीत करने जाऊंगा। बहरहाल मां कुदरगढ़ी एलुमिना रिफाइनरी फैक्ट्री के विरोध में कई ग्राम पंचायत के ग्रामीणों की एकजुटता को देखते हुए लगता तो नहीं की ग्राम चिरंगा में प्रस्तावित करोड़ों रूपये के प्रोजेक्ट यानी प्रस्तावित फैक्ट्री को स्थापित कर पाना फैक्ट्री प्रबंधन और जिला प्रशासन के लिए आसान राह होगा, क्योंकि जमीन सीमांकन की प्रक्रिया चर्चा में आई तब से प्रभावित गांव के हजारों ग्रामीणों में और भी भड़के हुए है और उनका आक्रोश देखने को मिल रहा है। IBC24 से रोशन सोनी की रिपोर्ट

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