पीकेईबी को मिली जरूरी मंजूरियां, छत्तीसगढ़ को मिलेगा 7 हजार करोड़ जीएसटी शेयर |

पीकेईबी को मिली जरूरी मंजूरियां, छत्तीसगढ़ को मिलेगा 7 हजार करोड़ जीएसटी शेयर

Edited By :   Modified Date:  July 13, 2024 / 08:59 PM IST, Published Date : July 13, 2024/8:59 pm IST

• राजस्थान को छत्तीसगढ़ में तीन कोयला ब्लॉक आवंटित किए गए हैं
• आरआरवीयूएनएल को मिला परसा और केते एक्सटेंशन की मंजूरी
• आरआरवीयूएनएल केवल पीईकेबी ब्लॉक से कोयला उत्पादित कर रहा है
• पीईकेबी खदान ने छत्तीसगढ़ सरकार को चुकाया सात हजार करोड़ रूपए का कर

रायपुर

राजस्थान अपने परसा पूर्व और केते बेसन (पीईकेबी) कोयला ब्लॉक से करीब 180 लाख टन कोयला उत्पादित कर रहा है । केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार से सभी आवश्यक स्वीकृतियां प्राप्त करने के पश्चात मार्च 2013 से पीईकेबी कोल ब्लॉक में कोयला उत्खनन प्रारम्भ कर दिया गया था जो कि अभी जारी है। राजस्थान की छाबड़ा, कालीसिंध एवं सूरतगढ़ स्थित करीब 4340 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता पीइकेबी कोयला खदान पर निर्भर है। राज्य सरकार ने तीन खदानों के आवंटन के चलते इन विद्युत इकाइयों के साथ-साथ संचरण एवं वितरण के नेटवर्क पर 40,000 करोड़ रुपये से ज्यादा निवेश किए हैं।

पीईकेबी करेगी बिजली बिल नियंत्रित

PKEBजरूरी मंजूरिओ के बावजूद खुदकी खदानों से अतिरिक्त कोयला ना मिल पाने से आज आरआरवीयूएनएल अपनी कोयला आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार की कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) पर निर्भर है। दूसरी ओर जरूरी ग्रेड के कोयले की उपलब्धता पर अनिश्चितता के कारण सीआईएल से आपूर्ति हो रही है। गर्मियों में पावर एक्सचेंज से बिजली की कीमतें और भी बढ़ जाती हैं। छत्तीसगढ़ की पीईकेबी, परसा और केते एक्स्टेन्शन खदानों से मिलने वाले कोयले से राजस्थान सरकार बिजली की कीमत को नियंत्रण में रख पाएगी।

आरआरवीयूएनएल के सुचारु संचालन के चलते पीईकेबी खदान को पर्यावरण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन, कर्मचारी स्वास्थ्य और सुरक्षा जैसे विषयों मे उत्कृष्ट प्रदशन के चलते कोयला मंत्रालय ने लगातार चार साल से पांच सितारा पदक से नवाजा है। राजस्थान सरकार ने छत्तीसगढ़ प्रशासन को भरोसा दिलाया है कि आरआरवीयूएनएल परसा और केते एक्स्टेन्शन को भी देश की मॉडल खदानें बनाएगी।

आरआरवीयूएनएल छत्तीसगढ़ सरकार के खजाने में माल और सेवा कर, रायल्टी, जिला खनिज निधि, एनएमईटी, वन कर और मुआवजा उपकर के रूप में सालाना एक हजार करोड़ रुपये से अधिक का योगदान देता है। पिछले दस सालों मे पीईकेबी खदान द्वारा राज्य सरकार को अभी तक लगभग सात हजार करोड़ रूपए से भी ज्यादा विभिन्न करों की अदायगी के रूप में प्रदान किए जा चुके हैं। भविष्य में बाकी की दोनों खदानें शुरू हो जाने से यह राशि दो से तीन गुना बढ़ जाएगी ।

13 साल में लगाए 12 लाख पेड़

PKEBछत्तीसगढ़ के पीईकेबी ब्लॉक में खनन गतिविधियों के लिए चरणबद्ध तरीके से वर्ष 2012 से 2023 के बीच किया गया। इसके एवज में आरआरवीयूएनएल ने बड़े पैमाने पर वनीकरण अभियान चलाकर अपने स्वामित्व उपयोगिता की खनन के बाद प्राप्त भूमि में 12 लाख 50 हजार पौधे लगाए, जिनमें से सात लाख से अधिक पूर्ण विकसित पेड़ हैं। आरआरवीयूएनएल ने इस वर्ष इसके अलावा 2.5 लाख अतिरिक्त पौधरोपण की योजना बनाई है। उल्लेखनीय है कि इस पहल से वन क्षेत्र में पौधों के घनत्व में गुणात्मक सुधार सुनिश्चित होगा। इस वर्ष यह भारत के खनन क्षेत्र के सबसे बड़े वृक्षारोपण अभियान में से एक है, जो सुरगुजा जिले में आने वाले दशकों मे भी अनवरत चलता रहेगा ।

खुलेंगे स्कूल, बच्चे करेंगे नीट, जेईई की तैयारी

आरआरवीयूएनएल ने पिछले दस वर्षों में सरगुजा जिले के समुदायों के सशक्तिकरण के लिए अनेक कदम उठाए हैं। जिसके चलते सुरगुजा जिले के स्थानीयों का आरआरवीयूएनएल को समर्थन प्राप्त है और उन्होंने भी कई बार परसा और केते एक्सटेंशन कोयला खदानों को शुरू करने के लिए छत्तीसगढ़ प्रशासन के सामने अपनी मांग रखी है। पीईकेबी परियोजना क्षेत्र की आदिवासी महिलाएं आरआरवीयूएनएल द्वारा बनाई गई सहभागी संस्था द्वारा विभिन्न आय सृजन गतिविधियों में संलग्न हैं, जिसमें व्यवसायी तालिम, किसान प्रशिक्षण और वर्मी खाद बनाना, मवेशियों की नस्ल में सुधार के लिए परियोजना, पशुधन विकास, युवाओं के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण के कार्यक्रम भी निरंतर संचालित किये जा रहे हैं। जिले के उदयपुर ब्लॉक में 18-30 वर्ष आयु के युवाओं की प्रतिभा निखारने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए आरआरवीयूएनएल ने ‘यूथ कनेक्ट’ कार्यक्रम की शुरूआत की है। इसके साथ हीं सामाजिक सहभागिता के तहत शिक्षा, स्वास्थ्य, अधोसंरचना विकास तथा आजीविका उन्नयन के कई कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। आरआरवीयूएनएल करीब 900 ग्रामीण विद्यार्थीगण के लिए सीबीएससी सलग्न अंग्रेजी माध्यम की स्कूल में गुणवत्तापूर्ण मुफ़्त शिक्षा उपलब्ध करा रहा है, जिसमें शिक्षण, स्टेशनरी, ट्रांसपोर्टेशन, नाश्ता और भोजन आदि शामिल है। यह देश का शायद इकलौता ऐसा शिक्षण संस्थान है, जहां विद्यार्थियों की माताओं की महिला सहकारी समिति द्वारा नाश्ता और भोजन पकाया जाता है। इसके साथ ही 11वीं और 12वीं कक्षा के लिए JEE-NEET परीक्षा के लिए कोचिंग क्लासेस की व्यवस्था, सरकारी परीक्षाओं के लिए कोचिंग क्लासेस, कमजोर बच्चों के शिक्षण स्तर को सुधारने के लिए उत्थान कार्यक्रम और शिक्षण सामग्री का वितरण जैसे कार्यक्रम परियोजना क्षेत्र में संचालित किए जा रहे हैं। परसा पूर्व और केते बेसन (पीईकेबी) के खुलने से इस क्षेत्र में विकास की गति कई गुना बढ़ जाएगी।