Surajpur police came in limelight in the name of taking bribe: सूरजपुर। लगातार सुर्खियों में रहने वाला सूरजपुर पुलिस फिर से एक बार चर्चा का विषय बना हुआ है। इस बार चोरी के मामले में समझौता कराने के एवज में दो पुलिसकर्मियों पर 40 हजार रुपए रिश्वत लेने का आरोप लगा है, दरअसल यह पूरा मामला रामानुज नगर थाना का है, जहां पीड़ित ने अपने घर में चोरी होने की शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस के द्वारा 4 दिनों तक एफआईआर दर्ज नहीं करने के बाद आरोपी और पीड़ित पक्ष में समझौता हो गया।
जब दोनों पक्ष समझौता के लिए थाना पहुंचे तो वहां ड्यूटी में तैनात प्रधान आरक्षक हेमंत शर्मा और नगर सैनिक देवचंद पांडे ने समझौता करने के लिए दोनों पक्षों से 20 – 20 हजार रुपए लिए। पैसा ना देने की स्थिति में उन्हें धमकाया गया। अब पीड़ित ने दोनों पुलिसवालों पर 40 हजार रुपए रिश्वत लेने का नामजद आरोप लगाया है, वहीं पुलिस मामले की जांच कर का की बात कर रही है। बता दें चोरी के आरोपी के द्वारा पीड़ित की लड़की से दुष्कर्म का भी आरोप है। इतना ही नहीं दुष्कर्म से आहत होकर पीड़ित की नाबालिग लड़की ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी, जिसके बाद आरोपी राजेश साहू पर बलात्कार और पास्को एक्ट के तहत मामला दर्ज कर उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि यदि पुलिस मुस्तैदी से अपना काम कर चोरी की शिकायत के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लेती, तो शायद नाबालिक बच्चे की जान बचाई जा सकती थी। नाबालिक बच्ची की मौत के मामले में पुलिस के अनुसार,नाबालिग ने आरोपी के डर से आत्महत्या की थी। अगर पुलिस समय रहते आरोपी पर कार्रवाई कर उसे जेल भेज देती तो शायद आज उस मासूम बच्ची की जान बचाई जा सकती थी। पुलिस पर आम लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है, अगर वहीं पुलिस पैसों की वजह से आम लोगों की जिंदगी को खतरे में डाल दे तो आखिर पुलिस पर भरोसा कैसे किया जाए। पुलिस विभाग के आला अधिकारियों को भी मामले की पूरी जानकारी है, लेकिन वह दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई करने की वजह जांच का राग अलाप रहे हैं। IBC24 से नितेश गुप्ता की रिपोर्ट
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