सूरजपुर: जिले में सामने आये दोहरे हत्याकांड के आरोपी और जिला एनएसयूआई के पूर्व अध्यक्ष चंद्रकांत चौधरी के बारें मे हर दिन बड़े खुलासे हो रहे है। चंद्रकांत चौधरी नेतागिरी के आड़ में अपने आपराधिक प्रवृत्ति को छिपाने की कोशिश में जुटा था इसकी पुष्टि खुद कांग्रेस की जिलाध्यक्ष भगवती राजवाड़े ने की। (Surajpur Murder Accused Chandrakant Chaudhary Criminal Background) अब तक भाजपा ने कांग्रेस और चंद्रकांत चौधरी पर आरोप लगाए थे और उसके आदतन अपराधी होने का दावा किया था तो वही अब खुद कांग्रेस की जिलाध्यक्ष ने माना है कि चंद्रकांत चौधरी आदतन बदमाश था और उसके खिलाफ थानों में कई तरह की शिकायते दर्ज थी।
इस बारें में मीडिया से चर्चा करते हुए सूरजपुर जिले की कांग्रेस अध्यक्ष भगवती राजवाड़े ने बताया है कि, चंद्रकांत चौधरी की जब एनएसयूआई जिला प्रमुख के पद पर नियुक्ति हुई तो संगठन के स्थानित लोगों ने इसकी शिकायत उनसे की थी। इसके बाद उन्होंने उन्होंने इस बारें में पीसीसी, प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट के अलावा एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष नीरज पांडेय को भी जानकारी देते हुए चंद्रकांत के बारें में बताया था। पूर्व सीएम भूपेश बघेल के एक प्रवास के दौरान उनसे भी इसकी शिकायत की गई थी।
भगवती राजवाड़े ने बताया कि संगठन में होने वाली नियुक्तियों के संबंध में अमूमन संगठन के अन्य सदस्यों की सहमति ली जाती हैं। (Surajpur Murder Accused Chandrakant Chaudhary Criminal Background) लेकिन चंद्रकांत के मामले में ऐसा नहीं हुआ था। उन्होंने सचिन पायलट से कहा था कि ऐसे आपराधिक छवि वाले शख्स को संगठन में किसी तरह का पद नहीं दिया जाना चाहिए।
हालांकि हत्याकांड की तारीख तक चंद्रकांत चौधरी पद पर बना हुआ था और भगवती राजवाड़े की शिकायत पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई थी। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या चंद्रकांत चौधरी को आलाकमान का पूरा संरक्षण हासिल था? आखिर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने किस तरह चंद्रकांत चौधरी को इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी? क्या नियुक्ति के पहले चंद्रकांत के पृष्ठभूमि की जाँच नहीं की गई? बहरहाल सभी सियासी दलों को चाहिए कि वह संगठन में नियुक्तियों से पहले नेताओं की छवि और समाज में उनके योगदान को प्राथमिकता देते हुए ही किसी तरह की जिम्मेदारी सौंपे।