Children are not able to choose school and subject of their own free will सूरजपुर। शिक्षा विभाग बच्चों को शिक्षा देकर उनकी जिंदगी बेहतर बनाने का काम करता है, लेकिन सूरजपुर का शिक्षा विभाग अपनी मनमानी की वजह से 31 बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। शिक्षा विभाग इन बच्चों को अपनी मर्जी से स्कूल और विषय चुनने के लिए मजबूर कर रहा है। इनकी शर्त ना मानने पर इन बच्चों का दाखिला दूसरे स्कूल में ना हो सके इसके लिए इनका टीसी नहीं दिया जा रहा है। बच्चे और उनके परिजन परेशान हैं। वहीं, शिक्षक और शिक्षा विभाग अपनी मनमानी को सही ठहराने में लगा हुआ है।
अपनी पसंद का स्कूल और विषय नहीं चुन पा रहे बच्चे
सूरजपुर जिले का रामनगर हाई स्कूल, जिसमें 60 बच्चों ने दसवीं कक्षा की परीक्षा दी थी, जिसमें 31 बच्चे पास हुए। अब यह बच्चे अपनी मर्जी से सब्जेक्ट चुनकर अपने पसंद के स्कूल में एडमिशन लेना चाहते हैं, लेकिन उन्हें स्कूल प्रबंधन के द्वारा टीसी नहीं दिया जा रहा है। कारण बताया जा रहा है कि हाई स्कूल बहुत जल्दी हायर सेकेंडरी स्कूल हो जाएगा तब इसी स्कूल में सभी बच्चे पढ़ाई करेंगे। अपनी टीसी के लिए स्कूल के बच्चे पिछले एक महीने से चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन शिक्षक और शिक्षा विभाग की मनमानी का आलम यह है कि वह साफ तौर पर इन बच्चों को टीसी देने से इंकार कर दे रहे हैं। वहीं, बच्चे और उनके परिजन परेशान हैं।
बड़े अधिकारियों के आदेश के चलते नहीं दे रहे टीसी
परिजनों का आरोप है कि स्कूल में मैथ्स का टीचर नहीं होने की वजह से दसवीं कक्षा के 60 में से 29 बच्चे फेल हो गए और ज्यादातर बच्चे ग्रेस लगाकर पास हो पाए हैं। ऐसे में वे अपने बच्चों को इस स्कूल में पढ़ाने से परहेज कर रहे हैं। एक ओर बच्चों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है तो वहीं, शिक्षक और शिक्षा विभाग की मनमानी का आलम यह है कि शिक्षक साफतौर पर कैमरे के सामने यह कह रहे हैं कि हम बच्चों को टीसी नहीं देंगे, क्योंकि हमारे बड़े अधिकारियों का आदेश है।
सूरजपुर जिले से बाहर पढ़ने पर ही मिलेगी टीसी
इस स्कूल में जल्द ही 11वीं और 12वीं के कृषि विषय की कक्षाएं लगना शुरू हो जाएंगी, उनके अनुसार बच्चों को उनकी मर्जी से सिर्फ कृषि सब्जेक्ट को ही चुनना पड़ेगा। यदि बच्चे उनकी मनमानी नहीं मानते हैं तो वे बच्चों का टीसी नहीं देंगे, चाहे इसकी वजह से बच्चों का भविष्य क्यों ना बर्बाद हो जाए। वहीं, जिला शिक्षा अधिकारी भी कैमरे के सामने साफ तौर पर यह कह रहे हैं कि 11वीं की कक्षाएं शुरू होंगी तो बच्चे तो चाहिए ही इसलिए वे दादागिरी से बच्चों का एडमिशन कराने पर तुले हुए हैं। यदि बच्चे सूरजपुर जिले से बाहर पढ़ने के लिए जाएंगे तभी उन्हें टीसी दिया जाएगा अन्यथा उन्हें इसी स्कूल में पढ़ाई करने के लिए मजबूर किया जाएगा।
देश और प्रदेश में शिक्षा का अधिकार लागू है। ऐसे में सूरजपुर का शिक्षा विभाग कि यह दादागिरी कई सवाल खड़े करता है। क्या अब बच्चे अपनी मर्जी से सब्जेक्ट और स्कूल का चयन भी नहीं कर सकते हैं? क्या बच्चे अगर स्कूल प्रबंधन या शिक्षा विभाग की मनमानी को नहीं मानेंगे तो क्या वह इनके भविष्य के साथ खिलवाड़ करेंगे? और यह सब हो रहा है प्रदेश के शिक्षा मंत्री के गृह जिले में। ऐसे में शिक्षा मंत्री को खुद ऐसे मामलों को संज्ञान लेकर दोषी अधिकारी और कर्मचारियों पर कार्रवाई करनी चाहिए। IBC24 से नितेश गुप्ता की रिपोर्ट
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