Reported By: Nitesh Gupta
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सूरजपुर: शिक्षक वो दीया होता हैं जो खुद जलकर बच्चों के भविष्य को रौशन करता हैं, देश के उज्जवल भविष्य और देश के निर्माण के लिए उन्हें तैयार करता हैं। शिक्षक अपनी शिक्षा से ना सिर्फ एक छात्र-छात्रा के भविष्य का निर्माण करता हैं बल्कि एक पूरी पीढ़ी को आत्मनिर्भर बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता हैं। (Blind teachers in Chhattisgarh are brightening the future of students) आज शिक्षक दिवस विशेष पर हम बात करेंगे एक ऐसे ही शिक्षक की जिसने अपनी कमजोरी को कभी भी मजबूरी बनने नहीं दिया। तमाम चुनौतियों के बाद भी उसने शिक्षक बनने का सपना पूरा किया और आज समाज को सुदृढ़ करने अपना योगदान दे रहे हैं।
दरअसल आज हम बात कर रहे हैं सूरजपुर के सरकारी स्कूल के शिक्षक दुर्गेश केसरी की जो जन्म से ही दृष्टिहीन है। बावजूद इसके वह पिछले कई सालों से छात्रों के शिक्षित करने में पूरी तन्मयता से जुटे हुए हैं। अपनी कमजोरी को ही अपनी सबसे बड़ी ताकत बनाते हुए वह पिछले कई सालों से बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं।
शिक्षक दुर्गेश केसरी ने खुद ब्रेल लिपि से शिक्षा हासिल की है लेकिन बच्चों को इतनी सरल भाषा में पढ़ाते हैं कि कोई भी यह देखकर दंग रह जायें। (Blind teachers in Chhattisgarh are brightening the future of students) आज शिक्षक दिवस के मौके पर छात्रों के द्वारा उनका विशेष सम्मान किया गया। अपने सम्मान से वह काफी खुश नजर आए।
दुर्गेश केसरी के बारे में उनके साथी शिक्षक और छात्र भी यह बताते हैं कि वह अपने आप में पूरा ज्ञान का भंडार है। अपनी विशेष अध्यापन शैली से बच्चे भी उनके द्वारा पढ़ाई गए विषयों को आसानी से समझ पाते हैं। जब बच्चों को लिखकर समझाने की जरूरत होती है तो उनके सहायक शिक्षक उनका पूरी तरह से सहयोग करते हैं। दुर्गेश केसरी जैसे शिक्षकों की वजह से ही शिक्षक को भगवान का दर्जा दिया गया होगा। जो अपनी जिंदगी के अंधेरे की चिंता ना करते हुए बच्चों के जीवन में प्रकाश फैलाने के लिए निरंतर प्रयासरत रहते हैं।