Supreme Court's comment on conversion and reservation

#SarkarOnIBC24: धर्मांतरण और आरक्षण पर..सुप्रीम टिप्पणी, कन्वर्ट होने के बाद हिंदू जाति और आरक्षण का लाभ नहीं

Supreme Court's comment on conversion and reservation: कन्वर्ट हो चुके ईसाईयों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकता.. सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणियों के बाद भी ब्लेम-गेम जारी है..आदिवासियों के बहाने बीजेपी और कांग्रेस दोनों एक दूसरे पर जुबानी तीर चला रहे हैं..

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Modified Date: December 1, 2024 / 07:31 PM IST
Published Date: November 30, 2024 12:08 am IST

रायपुर: #SarkarOnIBC24: अब तक छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण किसके वक्त ज्यादा हुआ, किसके संरक्षण में हुआ, कौन इसके लिए जिम्मेदार है इस पर पक्ष-विपक्ष के बीच कई बार बहस छिड़ी लेकिन सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला… जिसमें उन्होंने कहा कि- कन्वर्ट हो चुके ईसाईयों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकता.. सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणियों के बाद भी ब्लेम-गेम जारी है..आदिवासियों के बहाने बीजेपी और कांग्रेस दोनों एक दूसरे पर जुबानी तीर चला रहे हैं..

आदिवासी बहुल राज्य छत्तीसगढ़ में धर्मांतऱण हमेशा से बड़ा मुद्दा रहा है…अब पुडुचेरी की एक महिला की याचिका को खारिज करते हुए देश की सुप्रीम अदालत ने स्पष्ट और सख्त टिप्पणी कही कि नौकरी का लाभ लेने, धर्मांतरण की आड़ में दोहरा व्यवहार नहीं चलेगा…फैसले पर छिड़ी बहस पर प्रदेश सरकार के मंत्री केदार कश्यप ने निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि,कुछ लोग लगातार आदिवासियों का हक मारते हैं, उसपर रोक जरूरी है…

इधर, कांग्रेस का आरोप है कि प्रदेश में लंबे वक्त तक बीजेपी सरकार रही, सबसे ज्यादा धर्मांतरण बीजेपी काल में हुआ…लेकिन सरकार नाकामी ठीकरा दूसरे पर फोड़ना चाहती है।

बात कड़वी मगर सच है कि कुछ लोग कानून और अधिकारों की आड़ में धर्मांतरण के बाद भी लाभ के लिए दोहरा बर्ताव कर रहे हैं…ये इस तरह का तीसरा मामला है जिसमें कोर्ट ने ऐसी टिप्पणियों के साथ याचिका खारिज की है…सवाल ये है कि इसमें प्रदेश सरकार दावे के मुताबिक जमीन पर क्या काम कर पा रही है ?

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का कोण्डागांव के आदिवासी समाज ने किया स्वागत

उच्चतम न्यायालय ने 26 नवंबर को एक फैसला सुनाते हुए धर्म परिवर्तन पर आरक्षण की पात्रता समाप्त करने वाले मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को यथावत रखने का निर्णय सुनाया है। इस पर कोण्डागांव के सर्व आदिवासी समाज ने न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है। तो वही ईसाई समुदाय ने इसे लेकर कुछ और ही बात कहा है।

ईसाई समुदाय के पदाधिकारी ने कहा है कि, धर्म परिवर्तन करने से किसी व्यक्ति का जाति परिवर्तित नहीं होता है। जाति पूर्वजों से प्राप्त होता है और वह यथावत ही रहता है। न्यायालय का यह आदेश उनके उन अधिकारों का हनन है जिसके तहत व्यक्ति को किसी भी धर्म का पालन करने का अधिकार होता है।

सुप्रीम कोर्ट ने आज एक महत्वपूर्ण मामले में फैसला सुनाते हुए ईसाई महिला की याचिका पर उसे अनुसूचित जाति का सर्टिफिकेट देने से इनकार कर दिया है। अदालत ने कहा कि सिर्फ आरक्षण का लाभ लेने के लिए धर्म परिवर्तन करना संविधान के साथ धोखाधड़ी है। सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता निर्मल शुक्ला ने इस निर्णय को स्वागतयोग्य माना है । वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा इससे पहले भी ऐसे मामलों में दो जजमेंट आ चुके हैं । इस निर्णय से समाज में सद्भावना बनी रहेगी ,यह निर्णय सकारात्मक है ।

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