police naxali encounter in sukma bijapur border: सुकमा। बीते 16 जनवरी को सुकमा व बीजापुर जिले की सीमा पर नक्सलियों के कोर इलाके में धर्मावरम में लगाए गए कैम्प पर नक्सलियों ने भीषण हमला कर दिया थ। इस हमले के लिए नक्सलियों ने ख़ास रणनीति तैयार की थी। कैम्प पर एक हज़ार के क़रीब देशी लांचर से हमला बोला गया था। इसे लेकर अब नक्सलियों ने प्रेस नोट जारी कर अहम जानकारी दी है।
बस्तर में नक्सलियों की सबसे मज़बूत माने जाने वाली बटालियन के इलाक़े में एक के बाद एक लगातार सुरक्षाबलों द्वारा कैम्प लगाए जाने के बाद नक्सलियों ने सीधे कैम्प लूटने की तैयारी के साथ हमले की रणनीति बनाई और कैम्प पर धावा बोल दिया। मामला सुकमा और बीजापुर की सरहद क्षेत्र में लगे बीजापुर जिले के धर्मावरम कैम्प कहा है। बीते 16 जनवरी को हुआ नक्सली हमला नक्सलियों की किसी कैम्प पर आम फ़ायरिंग की तरह नहीं था। बल्कि नक्सलियों ने पूरे कैम्प में घुसकर कैम्प को लूट लेने की तैयारी कर रखी थी।
नक्सलियों ने 16 जनवरी की शाम तक़रीबन साढ़े 6 बजे धर्मावरम कैम्प पर ज़बरदस्त हमला बोल दिया। लगातार फ़ायरिंग और एक के बाद एक नक्सलियों की ओर से देशी बीजीएल ग्रेनेड दागे जा रहे थे। इधर जवानों की ओर से भी ज़बरदस्त जवाबी कार्यवाही नक्सलियों पर जारी थी। ये सब तक़रीबन चार घंटे तक चलता रहा। इधर नक्सली सिर्फ़ धर्मावरम कैम्प पर ही नहीं बल्कि धर्मावरम कैम्प के सपोर्टिव कैम्प माने जाने वाले चिंतावागु और पामेड़ कैम्प पर भी गोलीबारी करते रहे ताकी बैकअप फ़ोर्स धर्मावरम कैम्प तक ना पहुँच पाए।
नक्सलियों ने कैम्प पर ना सिर्फ़ गोलीबारी की बल्कि कई बार कैम्प पर घुसने का भी प्रयास किया। कैम्प के मोर्चों पर तैनात कोबरा की 204वीं व सीआरपीएफ़ की 151वीं बटालियन के जवान लगातार नक्सलियों को कैम्प से दूर रखने जवाबी कार्यवाही करते रहे। अंततः चार घंटे तक चली ज़बरदस्त गोलीबारी अचानक बंद हो गई थी।
जिसके बाद अब नक्सलियों की ओर से भी प्रेस नोट जारी किया गया है। जिसमें नक्सलियों की प्रवक्ता समता व अभय ने अपने तीन साथियों की इस हमले के दौरान मौत की बात स्वीकारी है। वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नक्सलियों ने जब कैम्प पर हमला बोला तब नक्सलियों की संख्या चार सौ के क़रीब थी। जिसमें नक्सलियों की सबसे मज़बूत माने जाने वाली बटालियन नम्बर एक के अधिकतर नक्सली मौक़े पर मौजूद थे। नक्सली जंगली घास से बने विशेष पोशाक पहने हुए थे।
जो जानकारी सूत्रों ने बताई है उसके अनुसार नक्सलियों की हमले की तैयारियों का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि माओवादियों ने कई स्तर पर कैम्प पर हमले की रणनीति बनाई थी। इसके लिए नक्सलियों ने अपने कुछ लड़ाकों को जंगली घास से बने पोशाक पहनाया था ताकी धीरे धीरे जवानों को धोखा देते हुए नक्सली कैम्प में क़ब्ज़ा करने कैम्प के अंदर दाखिल हो सकें। नक्सलियों के घास से बने विशेष पोशाक सुबह कैम्प के नज़दीक से ही जवानों ने बरामद किया है जिसकी तस्वीर सामने आई है जिसमें एक जवान उस जंगली पोशाक पहने दिख रहा है। केबल कटर से कैम्प के कँटीले तार काट अंदर दाखिल होना चाहते थे।
वहीं नक्सलियों ने हमले के दौरान तक़रीबन एक हज़ार के आसपास देशी बैरल ग्रेनेड लॉंचर से हमला किया। इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है की मौक़े जो ज़िंदा लॉंचर सेल बरामद किया गया जिसकी संख्या तीन सौ के क़रीब बताई गई है।
नक्सलियों द्वारा धर्मावरम कैम्प पर हमले के लिए जो रणनीति बनाई थी उसमें नक्सलियों ने कैम्प तक मदद ना पहुँच पाए इसके लिए कैम्प तक पहुँचने वाले मुख्य मार्गों पर कई पेड़ काटे गए साथ नक्सलियों ने पूरे इलाक़े में जगह जगह आईईडी भी लगाई थी। इस बात का खुलासा खुद नक्सलियों के मध्य रीजनल ब्यूरो के प्रवक्ता प्रताप ने प्रेस नोट जारी कर दी है।
साथ ही प्रवक्ता प्रताप ने दावा किया है कि नक्सलियों के इस हमले में बड़ी संख्या में जवानों का उन्होंने उन्मूलन किया और कई जवान घायल हुए हैं जिसे छिपाने का भी आरोप सुरक्षाबलों पर लगाया गया है। हमले के दौरान तीन नक्सली मारे गए तस्वीर भी जारी की गई। नक्सलियों की दक्षिण सब ज़ोनल ब्यूरो की प्रवक्ता समता ने नक्सलियों द्वारा किए गए इस हमले में तीन साथियों की मौत की बात स्वीकारी है। साथ नक्सलियों ने मारे गए अपने साथियों की तस्वीरें भी जारी की है।
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