Dhan Me Tana Chedak ki Dawa

Dhan Me Tana Chedak ki Dawa: अब किसानों का कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा ‘तना छेदक कीट’, वैज्ञानिकों ने खोज निकाला रामबाण इलाज

Dhan Me Tana Chedak ki Dawa: अब किसानों का कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा 'तना छेदक कीट', वैज्ञानिकों ने खोज निकाला रामबाण इलाज

Edited By :   Modified Date:  August 29, 2024 / 09:36 AM IST, Published Date : August 29, 2024/9:36 am IST

रायपुर: Dhan Me Tana Chedak ki Dawa कृषि विज्ञान केन्द्र, सुकमा के पौध रोग वैज्ञानिक राजेन्द्र प्रसाद कश्यप, कीट वैज्ञानिक डॉ. योगश कुमार सिदार, कृषि अभियांत्रिकी वैज्ञानिक डॉ. परमानंद साहू व चिराग परियोजना के एस.आर.एफ.यामलेशवर भोयर ने बताया कि वर्तमान मे जिले के धोबनपाल, मुरतोंडा, नीलावरम, तोगपाल, पुजारीपाल, सोनाकुकानार, नयानार का मैदानी भ्रमण के दौरान धान के खेत मे तना छेदक कीट का आक्रमण दिखाई दे रहा है।

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Dhan Me Tana Chedak ki Dawa उन्होंने बताया कि इस कीट की इल्ली अवस्था, फसल को नुकसान पहुंचाती है। इस कीट की चार अवस्था होती है अण्डा, इल्ली, शंखी व तितली। मादा तितली पत्तियों की नोंक के पास समूह मे अंडें देती है। अंडे़ से इल्ली निकलती है जो हल्के पीले रंग की होती है। इल्ली निकलने के बाद, इल्ली पहले पत्तियों को खाते हुए धीरे-धीरे गोभ के अंदर प्रवेश करती है, जिससे पौधे की बढ़वार रूक जाती है।

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कीट पौधे के गोभ के तने को नीचे से काट देती है, जिससे धान के पौधे का बीच वाला हिस्सा सूख जाता है। सुखे हुए हिस्से को मृत गोभ (डेड हार्ट) कहते है। इस कीट का प्रकोप बालियां निकलने के समय होता है जिससे फसल को भारी नुकसान होता है। बालियों में दाना का भराव नहीं हो पाता है और बालियां सूख कर सफेद रंग की हो जाती हैं जिसे सफेद बालियां (व्हाइट हेड) कहते हैं। प्रभावित बालियों को खीचने पर आसानी से बाहर निकल जाता है। कई बालियों में इल्ली अंदर दिखाई देता है।

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कृषि वैज्ञानिकों ने इसके नियंत्रण के लिए कई प्रभावी उपायों के बारे में बताया जिसमें रोपाई करते समय पौधे के ऊपरी भाग को थोड़ा सा काटकर रोपाई करना चाहिए। खेतो एवं मेड़ो को खरपतवार मुक्त रखें। संतुलित मात्रा में पोषक तत्वों का उपयोग करें। खेत की समय-समय पर निगरानी करें तथा अण्डे दिखाई देने पर नष्ट कर दे। खेतों मे चिड़ियो के बैठने के लिए टी आकार की पक्षी मिनार लगाए। नर तितली को आकर्षित करने के लिए फेरोमोन ट्रैप लगाए।

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रात्रि चर कीट को पकड़ने के लिए प्रकाश प्रंपच या लाइट खेतों में लगाएं। अण्ड परजीवी ट्राइकोग्रामा जॉपोनिकम के 50 हजार अण्डे प्रति हेक्टेयर की दर से दो से तीन बार खेेत में छोड़ना चाहिए। उस समय रासायनिक कीटनाशक का स्प्रै ना करें। नीम अजेडीरेक्टीन 1500 पी पी एम का 2.5 लीटर प्रति हेक्टयर की दर से प्रयोग करें। दानेदार कीटनाशकों का छिड़काव गभोट वाली अवस्था से पहले करना चाहिए। बारिश रूकने व मौसम खुला होने पर कोई एक कीटनाशक का प्रयोग करें।

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क्लोरेटानिलिप्रोएल 0.4 प्रतिशत जी आर 10 किलो प्रति हेक्टेयर या क्लोरोपायरीफॉस 20 ई.सी. 1250 मि.ली. प्रति हेक्टेयर या कर्टाफ हाइड्रोक्लोराइड 50 प्रतिशत एस.पी. 1000 ग्राम प्रति हेक्टेयर या क्लोरेटानिलिप्रोएल 18.5 प्रतिशत एस.सी. 150 मि.ली. प्रति हेक्टेयर या फिप्रोनिल 5 प्रतिशत एस.सी. 1000.1500 मि.ली. प्रति हेक्टेयर या फ्लूबेंडामाइड 20 प्रतिशत डब्ल्यू. जी. 125 ग्राम प्रति हेक्टेयर का उपयोग करके प्रभावी नियंत्रण कर सकते हैं। ठीक न होने पर 15 दिन बाद दूसरे कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए। अधिक जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों और कृषि विभाग के अधिकारियों से संपर्क करके ही रासायनिक दवाइयों का उपयोग करना चाहिए।

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