रायपुर : CG KI BAAT : छत्तीसगढ़ के 23 सालों में हुए 4 विधानसभा चुनावों में तीसरी ताकतें दहाई अंकों में वोट हासिल करती रही हैं। इस बार इनका जोर कम जरूर दिख रहा है, लेकिन कुछ हिस्सों में सक्रियता सत्तादल की बेचैनी बढ़ा सकती है। हाल ही में कांग्रेस के पुराने दिग्गज अरविंद नेताम ने पार्टी छोड़कर सर्व आदिवासी समाज की रिशेपिंग का ऐलान कर दिया है। देश में जिस तरह से I.N.D.I.A. बना है, जिसमें 26 पार्टियां इकट्ठा हो गई हैं, वैसी कोई स्थिति तो छत्तीसगढ़ में नहीं है, लेकिन चुनावी पार्टियां अगर इकट्ठा हो गईं तो चुनाव रोचक हो जाएगा।
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CG KI BAAT : छत्तीसगढ़ की चुनावी आहट बता रही है, यहां तीसरी ताकतें प्रमुख दलों का खेल बिगाड़ सकती हैं। इसका मतलब त्रिशंकु विधानसभा हो जाना भले न हो, लेकिन दोनों प्रमुख दलों को अच्छा खासा डैमेज करना जरूर हो सकता है।
छत्तीसगढ़ के मिजाज में यूं तो तीसरी ताकतों को सत्ता की चाबी सौंपने का रिवाज नहीं रहा है, लेकिन इन्हें अच्छा खासा वोट देने की परंपरा जरूर रही है। 2003 तीसरी ताकतों का अब तक हुए चुनावों का सबसे बड़ा स्कोर है। प्रदेश के पहले चुनाव में NCP का जोर था। बड़े-बड़े नेता इसमें शामिल होकर सत्तारूढ़ कांग्रेस का खेल बिगाड़ने में जुटे थे। नतीजे कहते हैं NCP ने खुद का कोई कल्याण नहीं किया, लेकिन तब की सत्तारूढ़ कांग्रेस का खेल बिगाड़ डाला था। इसी साल बसपा ने भी अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन करते हुए लगभग 7 परसेंट वोट हासिल किए थे।
CG KI BAAT : छत्तीसगढ़ के इतिहास में सिर्फ 2013 ही इकलौता ऐसा चुनाव था जब कांग्रेस और भाजपा मिलकर 80 परेंसट वोट के ऊपर पहुंच पाए थे, बाकी सभी चुनावों में तीसरी ताकतें 21 परसेंट से ज्यादा वोट हासिल करती रही हैं। इनमें भी निर्दलियों का अकेले ही औसत लगभग 6 परसेंट का है।
2018 में जोगी ने जोर मारा। बसपा के साथ गठबंधन हुआ तो 7 सीटें भी आईं और दोनों का मिलाकर 11 परसेंट वोट भी आया। यानी 2018 ऐसा वर्ष साबित हुआ जब तीसरी ताकत ने 2003 के 24.30 वोट प्रतिशत के रिकॉर्ड के लगभग 23.90 परसेंट वोट हासिल किया।
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CG KI BAAT : इस बार तीसरी ताकतें इकट्ठा दिखाई नहीं दे रही हैं, लेकिन सर्व आदिवासी समाज, छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना, जोगी कांग्रेस, बसपा अलग-अलग इलाकों में सक्रिय हो सकती हैं। हाल ही में क्रांति सेना के बघेल ने नेता की तरफ झुकाव जाहिर किया है। ऐसे में अगर यह चारों शक्तियां एक मंच पर आ जाती हैं तो सत्तादल के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है।