Shri Ram Lalla will enjoy Devbhog rice, Chhattisgarh got the order of seeds

अयोध्या में महकेगी छत्तीसगढ़ देवभोग धान की खुशबू, श्री राम लला को लगेगा भोग

अयोध्या में महकेगी छत्तीसगढ़ देवभोग धान की खुशबू, श्री राम लला को लगेगा भोगः Shri Ram Lalla will enjoy Devbhog rice, Chhattisgarh got the order of seeds

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:17 PM IST, Published Date : April 11, 2022/6:23 pm IST

रायपुरः अयोध्या में रामलला को उनके ननिहाल छत्तीसगढ़ के देवभोग क़िस्म के चांवल का भोग प्रसाद चढ़ाया जाएगा। अयोध्या स्थित पुरारि सीड्स कंपनी 110 क्विंटल बीज इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर से 3.5 लाख रुपए में खरीद रही है, जिसे अयोध्या एवं उसके आसपास के क्षेत्रों के खेतों में बोया जाएगा। रामलला के विशेष भोग प्रसाद के लिए 110 क्विंटल बीज को अयोध्या में लगभग 1200 एकड़ खेत में बोया जाएगा, जिससे लगभग 6 हजार क्विंटल की फसल हो सकती है। कृषि महाविद्यालय के डॉ. विवेक त्रिपाठी ने बताया है कि 110 क्विंटल छत्तीसगढ़ देवभोग बीज इस माह के अंत तक अयोध्या सप्लाई होना है। पुरारि सीड्स कंपनी अयोध्या के संचालक रामगोपाल तिवारी ने बताया कि बारिश के मौसम में किसान यहां देवभोग धान का उत्पादन करेंगे। इस धान के चांवल से अयोध्या मंदिर में रामलला के लिए विशेष भोग तैयार किया जाएगा।

Read  more :  दहेज में नहीं मिली भैंस तो पति ने किया पत्नी का ये हाल, जानकर कांप उठेगी आपकी भी रूह

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में किसानों के हित में अनेक योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में तीर्थ पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार राम वन गमन पर्यटन परिपथ परियोजना के अंतर्गत उन स्थानों का विकास कर रही है जहां वनवास काल के दौरान श्री राम की स्मृतियां जुड़ी हैं।

Read  more :  ‘जन्नत’ फिल्म की इस एक्ट्रेस ने फिर ढाया कहर, ब्लैक बिकिनी में समंदर किनारे दिए सिज़लिंग पोज़, वायरल हुई तस्वीरें  

छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक उत्पादन देने वाली धान की प्रजाति स्वर्णा जो कि आंध्र प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय द्वारा निकाली गई, उसे और छत्तीसगढ़ की पुरानी धान प्रजाति जीराशंकर दोनों प्रजातियों की प्लांट ब्रीडिंग के बाद इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने छत्तीसगढ़ देवभोग नाम की प्रजाति विकसित की। जो पतला चांवल की सुगंधित और मुलायम चावलों की प्रजाति में गिनी जाती है। इसका धान 135-140 दिन में पकता है और उत्पादन 45 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर आता है। कृषि मंत्रालय भारत सरकार की बीज विकास समिति ने वर्ष 2019 में छत्तीसगढ़ देवभोग को भारत के राज्य पत्र में स्थान दिया और इसे छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के लिए उत्पादन अनुशंसा दी। अब इसी चांवल का भोग अयोध्या में छत्तीसगढ़ के भांचा रामलला को चढ़ाया जाएगा।

Read  more : हैकर्स के निशाने पर सरकारी एकाउंट, अब UP Government का ट्विटर एकाउंट हैक 

गौरतलब है कि प्रदेश में बड़ी मात्रा में किसान छत्तीसगढ़ देवभोग धान की बुवाई कर रहे हैं। रायपुर और इससे जुड़े दुर्ग जिले में पाटन क्षेत्र, धमतरी जिले में देवभोग का उत्पादन जारी है, इन क्षेत्रों के किसानों से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की कंपनियां जुड़ रही हैं। पहले इस किस्म के धान का पौधा 130-150 सेंटीमीटर तक होता था, लेकिन विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के साथ संयुक्त रूप से परियोजना चलायी, जिसमें परमाणु विकिरण के कारण पौधे की लंबाई 110 सेंटीमीटर तक करने के साथ ही उत्पादकता बढ़ाने में भी सफलता पाई।

Read  more :  कोरोना से पापा बनने में हो सकती है मुश्किल, पुरुषों की प्रजनन क्षमता हो सकती है प्रभावित, नई स्टडी में हुआ खुलासा

उल्लेखनीय है कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर द्वारा अब तक 200 से भी अधिक वेरायटी निकाली जा चुकी है। जिसमें 1987 से अब तक 40 वेरायटी के धान शामिल हैं। इनमें महामाया, पूर्णिमा, दंतेश्वरी, बम्लेश्वरी, दुबराज, दुबराज सेलेक्शन-1, विष्णुभोग सेलेक्शन-1, बादशाह भोग, तरुण भोग इत्यादि प्रजाति के धान शामिल हैं।