रायगढ़। राज्य शासन ने बीपीएल परिवारों के बच्चों को आरटीई के तहत निजी स्कूलों में दाखिला तो दिला दिया, लेकिन बच्चों की फीस जमा करने में शासन के पसीने छूट रहे हैं। जानकर हैरत होगी कि जिले में निजी स्कूलों को आरटीई में दाखिले के बदले मिलने वाली 49 करोड़ की प्रतिभूति राशि लंबित है। जिले के 7 सौ से अधिक स्कूलों को राशि का भुगतान एक साल से नहीं हो पाया है। शासन से राशि नहीं मिलने से स्कूल संचालक परेशान हैं। इधर शिक्षा विभाग शासन स्तर से ही भुगतान लंबित होने की बात कह रहा है।
25 फीसदी सीटों में मिलता है निशुल्क एडमिशन
दरअसल शिक्षा का अधिकार कानून के तहत बीपीएल परिवारों के बच्चों को निजी स्कूलों की 25 फीसदी सीटों में निशुल्क एडमिशन दिया जाता है। इन बच्चों के दाखिले के बदले में उनकी फीस राज्य शासन स्कूलों को अदा करती है। साल 2020-21 में 2500 बच्चों को निजी व सरकारी स्कूलों में आरटीई के तहत एडमिशन दिया गया था। बीते सालों की बकाया राशि को मिलाकर स्कूलों को तकरीबन 49 करोड़ रुपए का भुगतान प्रतिभूति राशि के रुप में किया जाना है, लेकिन शासन से अब तक राशि जारी नहीं हो पाई है।
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दफ्तरों के चक्कर काट रहे स्कूल संचालक
आलम ये है कि स्कूल संचालक अब राशि के लिए दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। स्कूल संचालकों का कहना है कि कोविड के दौर में दो साल स्कूल बंद होने से स्कूल प्रबंधन पहले ही वित्तीय समस्या से जूझ रहे हैं। ऐसे में भुगतान लंबित होने से दिक्कतें और बढ गई हैं। स्कूल संचालकों का कहना है कि शासन को इस ओर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। इधऱ मामले में विभागीय अधिकारी शासन स्तर से ही राशि लंबित होने की बात कह रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि कुछ स्कूलों ने समय पर क्लेम नहीं किया था। कुछ के क्लेम में त्रुटियां थी। बकाया राशि की जानकारी राज्य शासन को भेजी गई है। राज्य स्तर पर भुगतान का प्रयास किया जा रहा है।
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