Bilaspur high court on Divorce : बिलासपुर, छत्तीसगढ़। बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक युवक की तलाक याचिका स्वीकार करते हुए अहम फैसला सुनाते हुए बयान दिया है कि पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध होना एक स्वस्थ्य वैवाहिक जीवन का अहम हिस्सा है। कोर्ट ने शादी के बाद शारीरिक संबंध नहीं बनाने वाले पति-पत्नियों के व्यवहार को क्रूरता के बराबर बताया है।
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बिलासपुर हाईकोर्ट ने इसे विशेष महत्व देते हुए एक तलाक की याचिका को स्वीकार किया है। वहीं कोर्ट ने कहा कि पति- पत्नी में शारीरिक संबंध होना एक स्वस्थ वैवाहिक जीवन का अहम हिस्सा है। विवाह के बाद पति या पत्नी में किसी के भी द्वारा शारीरिक संबंध से इनकार करना क्रूरता की श्रेणी में आता है।
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बिलासपुर निवासी युवक की शादी 25 नवंबर 2007 को बेमेतरा जिले में रहने वाले एक महिला के साथ हुई थी। शख्स ने अपनी तलाक की अपील ने बताया कि उसकी पत्नी शादी के कुछ दिन बाद ही अपने पिता के घर चली गई थी और फिर वापस नहीं आई।
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इस बीच वो लगातार फोन से संपर्क में रहा और उसे अपने घर वापस लाने की कोशिश करता रहा लेकिन उसकी पत्नी ने यह कहते हुए वापस आने से इनकार कर दिया कि उसका पति सुंदर नहीं है। इस के अलावा शख्स ने अपनी तलाक की अर्जी में बताया है कि पत्नी विवाह के कुछ दिनों के भीतर ही क्रूरता का व्यवहार करती थी। उसे मानसिक रूप से लागातार यह कहकर प्रताड़ित कर रही थी कि वो सुंदर नहीं है।
पीड़ित का कहना है कि पिता के निधन के पत्नी मायके चली गई और वहां लगभग चार वर्ष तक लगातार रही। इस दौरान पति मोबाइल से संपर्क करने की कोशिश का रहा था। पत्नी को वापस आने के लिए कहने पर पत्नी का जवाब आता था कि पति को बिलासपुर छोड़कर बेमेतरा में बसने को कहा जाता था।
इसके बाद पति ने फैमिली कोर्ट में तलाक की अपील की, लेकिन फैमली कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी, तो पति ने हाईकोर्ट में अपील की। इसे बिलासपुर हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। इस मामले को लेकर विशेष टिप्पणी करते हुए कहा कि, पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध न होना क्रूर व्यवहार की श्रेणी में आता है।