रायपुर। CG Ki Baat प्रदेश में 7 और 17 नवंबर दो चरणों में चुनाव होने हैं। जिसके लिए भाजपा ने अपनी दो सूचियों में कुल 90 में से 85 उम्मीदवार तय कर लिए हैं। जबकि कांग्रेस अब भी मंथन मोड में है। भाजपा इस बात को अपने लिए बेहतर मानती है की उसने समय से पहले अपने कैंडिडेट फिक्स कर लिए है लेकिन दूसरी तरफ भाजपा की दूसरी सूची जारी होते ही प्रदेश के कई हिस्सों से घोषित प्रत्याशियों के विरोध के स्वर ने खबरों ने पार्टी नेता चिंता में डाल दिया है। भाजपा खेमें के इस हाल पर कांग्रेस चुटकी तो ले रही है लेकिन दावेदारों का दबाव और उम्मीदवारों के नाम घोषित करने में पिछडने का प्रेशर सत्ता पक्ष के खेमें में भी कम नही हैं।’
CG Ki Baat भाजपा की दूसरी सूची आते ही एक बार फिर विरोध के स्वर थामने की कवायद शुरू हो गई। सबसे ज्यादा विरोध रायपुर से सटे धरसींवा विधानसभा के प्रत्याशी अनुज शर्मा और आरंग सीट से प्रत्याशी खुशवंत सिंह का होता दिखा। वैसे इन दो चेहरों का विरोध सूची जारी होने के पहले से दिखने लगा था। पैराशूट लैंडिग का आरोप लगाते हुए अनुज शर्मा की उम्मीदवारी का विरोध करते हुए।
रायपुर जिला ग्रामीण उपाध्यक्ष महेश नायक ने मंडल अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप दिया। ये भी खबर है कि क्षेत्र के काफी सारे कार्यकर्ता इस्तीफा देने का मन बना चुके हैं। कुछ ऐसा ही माहौल आरंग क्षेत्र में भी बना हुआ है। इसी तरह का विरोध रायपुर उत्तर से प्रत्याशी बनाए गए, पुरंदर मिश्रा को लेकर भी है, मिश्रा के नाम की घोषणा के बाद विधासभा क्षेत्र के कार्यकर्ता निराश बताए जा रहे हैं। कभी कांग्रेस में रहे और हाल ही में जेसीसीजे छोड़ कर बीजेपी में प्रवेश करने वाले धर्मजीत सिंह का भी स्थानीय नेता खुलकर विरोध कर रहे हैं।
वहीं, छत्तीसगढ़ की एक और हाईप्रोफाइल सीट कोटा विधानसभा में इस बार भाजपा ने यहां से करीब 4 सौ किलोमीटर दूर स्थित जशपुर राजघराने के प्रबल प्रताप सिंह जूदेव को प्रत्याशी बनाया है। जबकि कोटा विधानसभा सीट के लिए दो जिलों के दर्जन भर नेताओं ने टिकट की दावेदारी की इसका स्थानीय स्तर पर विरोध शुरू हो गया। हालांकि इस पर पार्टी नेताओं का दावा है कि टिकट नाम मिलने पर उपजी नाराजगी स्वाभाविक है, जल्द ही नाराज नेता-कार्यकर्ताओं को मना लिया जाएगा।
बीजेपी में टिकट सूची जारी होने के बाद नाराजगी है तो सत्ताधारी दल कांग्रेस में दावेदावों के बीच जोरआजमाइश जारी है। रायपुर एयरपोर्ट में प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा के सामने बिल्हा से संभावित उम्मीदवार राजेंद्र शुक्ल और भाटापारा से सुनील माहेश्वरी के समर्थकों ने जमकर प्रदर्शन कर ताकत दिखाई। इस पर का दावा है कि कांग्रेस एक बड़ी पार्टी है, ऐसा थोड़ा-बहुत तो होगा ही लेकिन कांग्रेस में कहीं विरोध जैसी स्थिति नहीं है।
कुल मिलाकर दिनभर दोनों तरफ यही सवाल उठा की टिकट जल्दी देकर क्या भाजपा को फायदा हुआ। क्या टिकट डिक्लेयर ना करके कांग्रेस को नुक्सान होगा। चुनाव तारीखें आ चुकी हैं, फिलहाल तो भाजपा अपने रूठे नेताओं को मनाने में जुटी है तो कांग्रेस कम से कम विरोध हो और जिताऊ उम्मीदवार उतारने के लिए नाम फायनल करने कि लिए जूझ रही है।