CG Ki Baat: रायपुर। नक्सलियों से किसकी सांठ-गांठ प्रदेश में नक्सलवाद के लेकर इस वक्त इसी मुद्दे पर बहस गर्माई हुई है। राजनांदगांव से भाजपा सांसद संतोष पाण्डेय ने हाल ही में गिरफ्तार नक्सलियों में से एक आरोपी के संबंध पूर्व सीएम भूपेश बघेल के पिता नंदकुमार बघेल से बताकर सनसनी फैला दी। ये बात भी सच है कि झीरम हमले को छोड़ दें तो नक्सलियों की टार्गेट किलिंग के निशाने पर ज्यादातर बीजेपी नेता रहे हैं। भाजपा का दावा है कि हाल की घटना से जाहिर है कि कांग्रेस की नक्सलियों से सांठ-गांठ है। तो आरोप पर पूर्व CM भूपेश बघेल ने भी डटकर मोर्चा संभाला, बीजेपी पर पलटवार किया। सवाल है कितनी सच्चाई है इस गंभीर आरोप में पक्ष के विपक्ष के दोनों के तर्क सुनेंगे।
राजनांदगांव सांसद ने सीधे-सीधे पूर्व CM भूपेश बघेल से सवाल पूछते हुए कांग्रेस पर नक्सलियों से सांठ-गांठ के गंभीर आरोप लगाए हैं। दरअसल, मोहला मानपुर पुलिस ने 4 नक्सली समेत 5 लोगों को गिरफ्तार किया, जिसमें से एक है विवेक सिंह। सांसद संतोष पांडे का आरोप है कि विवेक सिंह, पूर्व सीएम भूपेश बघेल के पिता नंदकुमार बघेल के सलाहकार रहे हैं। सांसद संतोष पांडे का दावा है कि विवेक सिंह और नक्सलियों के बीच 7 लाख रुपये के लेनदेन की जानकारी मिली है। पांडे का आरोप है कि नंदकुमार बघेल मोहला मानपुर के अंदरुनी क्षेत्र में जाकर बैठक भी लेते थे।
सांसद संतोष पांडे ने पूर्व सीएम भूपेश बघेल से पूछा कि उनके पिता और नक्सलियों का रिश्ता क्या कहलाता है। रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने भी राजनांदगांव सांसद संतोष पांडे के आरोपों का समर्थन किया है । भाजपा के तीखे और गंभीर प्रहार पर अब पूर्व CM भूपेश बघेल स्वयं सामने आए हैं। बघेल का कहना है कि भाजपा की आदत बन चुका है दिवंगतों से सवाल करना। कभी नेहरू तो कभी गांधी। बघेल ने कटाक्ष किया कि आरोप लगाने वाले चाहें तो ऊपर जाकर दिंवगत सही जवाब ले लें। वहीं, पीसीसी चीफ ने कांग्रेस पर लगे आरोपों पर गोलमोल सा जवाब दिया।
वैसे इसमें कोई दे राय नहीं कि प्रदेश में नक्सलियों ने सबसे गहरा जख्म अगर किसी दल को दिया है तो वो है कांग्रेस पार्टी। झीरम कांड में नक्सलियों ने एक साथ कांग्रेस की एक पूरी लीडरशिप खत्म करने की साजिश की थी। लेकिन, विधानसभा चुनाव के वक्त से लेकर अब तक कई दफा चुन-चुन कर बीजेपी नेताओँ-कार्यकार्ताओं पर हो रहे नक्सली हमलों से बीजेपी को इस पर सवाल उठाने का मौका मिला है, उस पर से गाहेज-बगाहे कुछ कांग्रेसी नेता भी खुद पार्टी के भीतर कुछ नेताओं की भूमिका पर सवाल उठाते रहे हैं। सवाल ये कि बीजेपी के सीनियर सांसदों के इस तरह कांग्रेस पर सीधे-सीधे नक्सलियों से सांठ-गांठ के आरोपों में कितनी सच्चाई है ? अगर ऐसा है तो क्या बीजेपी शासनकाल में ये कनेक्शन खुलकर सामने आ सकेगा ?