रायपुर । चुनावी साल में कांग्रेस और बीजेपी में आदिवासी हितेषी बनने की होड़ मची हुई है। जाहिर है कांग्रेस बीजेपी ये बखूबी जानते हैं कि छत्तीसगढ़ की सियासत मे आदिवासी वर्ग को इग्नोर नहीं किया जा सकता है और एक बार फिर आदिवासी आरक्षण मुद्दे को लेकर बीजेपी और कांग्रेस एक दूसरे को झूठा साबित करने में लगे हुए हैं और अब तो कसम वाली सियासत भी हो रही है। आज इसी मुद्दे पर चर्चा करेंगे। आंख में हाथ रखें कसम खाए,अगर ये सच्चाई नहीं है तो आंखें फूट जाए। जी हां छत्तीसगढ़ की सियासत में अब कसम वाली सियासत की भी शुरुआत हो गई है। अब आइए आपको बताते हैं कि आखिर कैबिनेट मंत्री अमरजीत भगत ये कसम क्यों खिला रहे हैं और किसको खिला रहे हैं।
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जी हां मामला है छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े मुद्दे का. आदीवासी आरक्षण का। आदिवासी आरक्षण मुद्दे को लेकर बीजेपी और कांग्रेस एक दूसरे को झूठा साबित करने में लगे हुए हैं। एक बार फिर कैबिनेट मंत्री अमरजीत भगत ने बीजेपी नेताओं को घेरते हुए चुनौती दी। अब भला मुद्दा हो आदीवासी आरक्षण का तो बीजेपी कहां शांत बैठने वाली थी। बीजेपी के तरफ से भी करारा पलटवार हुआ मोर्चा संभाला बीजेपी प्रदेश प्रभारी ओम माथुर और प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने।
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छत्तीसगढ़ में सत्ता के सिहासन तक पहुंचने के लिए आदिवासी एक अहम कड़ी है। लिहाजा आदिवासी आरक्षण की आग इतनी जल्दी शांत नहीं होने वाली है और अब बात कसम तक जा पहुंची है। इन तीखे बयानों और कसम वाली चुनौतियों से साफ है कि 2023 का चुनाव आदिवासियों को सेंटर में रखकर ही लड़ा जाएगा। देखना होगा कि आदिवासी वर्ग किसका साथ देता है। किसे सत्ता का ताज मिलता है।