CG Congress Protest: रायपुर। महंगाई और कानून व्यवस्था के बाद अब कांग्रेस ने पूरे प्रदेश में बढ़ी बिजली दरों और बिजली कटौती मुद्दे पर आक्रामक तेवर दिखाते हुए, ब्लॉक स्तर पर प्रदर्शन किया है। कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेता और कार्यकर्ता प्रदेशभर में बिजली के मुद्दे पर सड़कों पर उतरे। कांग्रेस का सीधा आरोप है कि नई सरकार आते ही बिजली कंपनी ने घाटा बताते हुए दाम बढ़ा दिए., जबकि सत्ता पक्ष का दावा है ये हालात कांग्रेस की ही देन हैं, क्या तर्क हैं दोनों पक्षों के, किसके वजह से बिजली महंगी हुई, क्या कांग्रेस नेताओं की सक्रियता केवल निकाय चुनाव को लेकर है? क्या जनता विपक्ष के साथ है ? देखें ये खास रिपोर्ट
विधानसभा-लोकसभा चुनाव में करारी हार झेलने के बाद विपक्षी दल कांग्रेस, प्रदेश में जनसमस्याओं पर सरकार को जमकर घेरना शुरू कर चुका है। साल के अंत में नगरीय निकाय चुनाव से पहले कांग्रेस मजबूत विपक्ष के तौर पर सरकार को हर उस मुद्दे पर घेर रही है जिससे जनता सीधे तौर पर परेशान है। कानून-व्यवस्था और महंगाई के बाद अब कांग्रेस ने प्रदेश में हाल ही में बढ़ी बिजली दरों और अघोषित बिजली कटौती को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदेश स्तरीय आंदोलन किया। रायपुर में लालटेन लेकर प्रदर्शन के साथ-साथ पार्टी ने ब्लॉक स्तर पर सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया।
कांग्रेस का आरोप है कि कांग्रेस सरकार के दौरान बिजली दरों में एक बार भी बढ़ोतरी नहीं की गई, जबकि साय सरकार ने शुरूआती छह महीने में ही प्रदेश के आम उपभोक्ताओं को बिजली के बिल का तेज झटका दिया। कांग्रेस का तर्क है की सबसे ज्यादा बिजली बनाने वाले प्रदेश में सरकार लोगों को जानबूझ कर महंगी बिजली दे रही है। आरोप ये भी हैं कि दूसरे राज्यों को बिजली देने के लिए छत्तीसगढ़वासियों को बिजली कटौती झेलनी पड़ रही है।
कांग्रेस के आरोपों को कोरा झूठ बताते हुए बीजेपी ने इस स्थिति के लिए बीती कांग्रेस सरकार को ही जिम्मेदार बताया। दरअसल, हाल ही में राज्य विद्युत नियामक आयोग ने बिजली की दरें बढ़ा दी हैं, जिसके मुताबिक घरेलू उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 20 पैसे, तो कृषि पंपों के लिए 25 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से दरें बढ़ा दी गईं हैं। मसलन यदि घरेलू उपभोक्ताओं को 200 यूनिट बिजली खपत पर पहले 390 रुपये का बिजली बिल देना पड़ता तो अब वृद्दि के बाद 410 रुपये का भुगतान करना पड़ रहा है। इसी तरह कृषि उपभोक्ताओं से पहले 5.05 रुपये की दर से शुल्क वसूला जाता था जो अब बढ़कर 5.30 रुपये प्रति यूनिट हो गया है। जनता इसे अपनी जेब पर बड़ा कुठाराघात मानती है।
बीजेपी की दलील है कि बिजली की दरों में इजाफा बीती कांग्रेस सरकार की देन है, जबकि कांग्रेस का तर्क है कि उनकी सरकार ने बिजली वितरण कंपनी को लाभ की स्थिति में लाकर छोड़ा था। पर, राज्य में सत्ता परिवर्तित होते ही बिजली कंपनी ने पहले ही साल, खुद को घाटे में बताते हुए बिजली की दरें बढ़ा दी। इसी साल प्रदेश में नगर सरकार के लिए निकाय चुनाव भी होना है, सो कांग्रेस का दावा है कि वो इस मुद्दे को सदन में भी उठाने जा रही है। जाहिर है महंगी बिजली ने उपभोक्ताओँ को महंगाई के मोर्चे पर और बेहाल किया है, लेकिन क्या इस मुद्दे पर जनता सत्ता पक्ष से नाराज है, क्या इस मुद्दे पर वो कांग्रेस के साथ है ?