रायपुर : Sai Cabinet Expansion: अरसे से छत्तीसगढ़ में मंत्रिमंडल विस्तार की खबरें आ रही हैं। संभावित चेहरों के नाम भी फाइनल बताए जा रहे हैं। इसी बीच फेरबदल के संकेत भी मिलने लगे हैं। कहा जा रहा है कि पुअर परफार्मेंस वाले मंत्रियों पर गाज गिर सकती है। हालांकि इसे लेकर खुलकर कोई कुछ नहीं बोल रहा है, इन्हें लेकर कांग्रेस तंज कस रही है कि भाजपा में जबरदस्त गुटबाजी चल रही है इस वजह से साय मंत्री मंडल का विस्तार नहीं हो पा रहा है। सवाल ये है कि क्या सरकार में कुछ नए चेहरों को शामिल करने और पुराने चेहरों को बदलने का फॉर्मूला तैयार है?
Sai Cabinet Expansion: बीते लगभग 1 महीने से साय मंत्रिमंडल के दो नए चेहरों को शामिल करने की चर्चाएं गर्म हैं। सुगबुगाहट ये भी है कि बीते 1 साल के रिपोर्ट कार्ड के आधार पर कुछ मंत्रियों को ड्रॉप कर, अनुभवी और ऊर्जावान विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। जानकारी के मुताबिक 4 मंत्रियों का परफार्मेंस कमजोर है,उनके खिलाफ शिकायतें भी हैं, ये भी बताया गया कि पार्टी हाईकमान ने ऐसे मंत्रियों से वन-टू-वन चर्चा की है। मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल को लेकर पिछले दिनों मुख्यमंत्री और संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों की मंत्रियों और वरिष्ठ विधायकों से चर्चा भी हुई है। अब मंत्रिमंडल री-शफल याने विस्तार के साथ फेरबदल में जिन विधायकों को मंत्री बनाए जाने की चर्चा है। उनमें प्रमुख रूप से अमर अग्रवाल, किरण सिंहदेव , धरम लाल कौशिक, गजेंद्र यादव, विक्रम उसेंडी, लता उसेंडी, रेणुका सिंह और गोमती साय के नाम सामने आए हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री से लेकर बीजेपी के सीनियर नेता तक कोई भी इसे लेकर खुलकर कुछ नहीं बोल रहा है। इस बारे में प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव कहते हैं मंत्रिमंडल में किसे लेना है ये पूरी तरह से, मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय नेतृत्व का विषय है।
Sai Cabinet Expansion: इधर, सत्तापक्ष के इस हाल पर कांग्रेस तंज कस रही है। पूर्व पीसीसी चीफ धनेंद्र साहू ने कहा कि हालत ऐसे हैं कि CM न तो मंत्रिमंडल का विस्तार कर पा रहे न ही फेरबदल करने की हिम्मत। गुटबाजी के आगे हाई कमान भी बेबस लगते हैं। इसपर पलटवार किया बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि जितनी चिंता कांग्रेसी अगर इतनी फिक्र अपने संगठन और सरकार की करते तो ये नौबत ना आती।
2023 में बंपर जीत के बाद से ही मंत्रिमंडल में सीनीयरिटी, क्षेत्र, जाति-वर्ग का संतुलन बनाना एक बड़ी चुनौती रहा है। अब एक साल बाद कैबिनेट विस्तार के साथ री-शफल संगठन और सरकार दोनों के लिए आसान तो नहीं है, क्योंकि जिन्हें भी मौका नहीं मिला या ड्रॉप किए गए उनकी नाराजगी, उनके क्षेत्र में कार्यकर्ताओं- समर्थकों की नाराजगी थामना बड़ा चैलेंज होगा। सवाल है, क्या इलीलिए कैबिनेट विस्तार और रीशफल बार-बार टल रहा है? क्या इस बार कोई नया फार्मूला तैयार है?