नई दिल्ली : केंद्र की मोदी सरकार की तरफ से वन नेशन वन इलेक्शन की तैयारी की जा रही है। ऐसा दावा मीडिया रिपोर्ट्स में किया जा रहा है। (One Nation One Election Kya Hai) इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक़ ‘एक देश, एक चुनाव’ को लेकर सरकार ने शुक्रवार को बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने इसको लेकर एक कमेटी का गठन किया है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है। इस कमेटी का मकसद एक देश एक चुनाव के कानूनी पहलुओं पर गौर करेंगी। सूत्रों का यहां तक कहना है कि एक देश, एक चुनाव पर सरकार बिल ला सकती है।
वही इस बारे में कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा ने भी बयान दिया है। उन्होंने दावा किया है कि पांच राज्यों में होने वाले संभावित चुनाव से भाजपा डरी हुई है। वन नेशन वन इलेक्शन लोकतंत्र को कमजोर करने का हिस्सा है। इस तरह भाजपा देश में अपनी विचारधारा थोपना चाहती है।
वही इससे पहले लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी सरकार पर निशाना साधा है। ‘एक देश, एक चुनाव’ कमेटी गठन को लेकर कांग्रेस नेता ने कहा, ‘एक देश, एक चुनाव पर केंद्र सरकार की नीयत साफ नहीं है। अभी इसकी जरूरत नहीं है। पहले बेरोजगारी और महंगाई का निदान होना चाहिए।’
गौरतलब है कि केंद्र की भाजपा सरकार देशभर में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराये जाने की प्रबल पक्षधर है। इसके पीछे सरकार का तर्क है देश में अगर लोकसभा चुनाव और सभी राज्यों में विधानसभा चुनाव एक साथ होते हैं तो इससे खर्चा कम होगा। चुनाव की वजह से प्रशासनिक अधिकारी भी व्यस्त रहते हैं, उन्हें भी इस काम से निजात मिलेगी और अन्य काम पर फोकस कर सकेंगे। आंकड़े के मुताबिक, जब देश में पहली बार चुनाव हुए थे, उस वक्त तकरीबन 11 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। 17वीं लोकसभा में 60 हजार करोड़ से ज्यादा रुपए खर्च हुए। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब लोकसभा चुनाव में इतने पैसे खर्च हुए तो विधानसभा चुनावों में कितने पैसे खर्च होते होंगे।
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