रायपुर: नंदकुमार से ने एक बार फिर से रोलबैक कर लिया है। उन्होंने कांग्रेस से आठ महीना पुराना रिश्ता तोड़ लिया है। साय ने कल कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। इससे पहले इसी साल मई में उन्होंने भाजपा को भी अलविदा कह दिया था जिसके बाद वह कांग्रेस खेमे में चले गए थे। भाजपा के वरिष्ठ, अनुभवी और कद्दावर आदिवासी नेता के नाते कांग्रेस में उन्हें सम्मान भी मिला और भूपेश बघेल के निर्देश पर उन्हें छग राज्य औद्योगिक विकास निगम कार्पोरेशन का प्रमुख बनाते हुए कैबिनेट का दर्जा भी दिया गया। पर सवाल यही है कि आखिर इतने सम्मान के बाद भी नंदकुमार साय का दिल कांग्रेस में क्यों नहीं लग रहा था? उन्हें और क्या चाहिए था जो नहीं मिला?
नंदकुमार साय के इस्तीफे की जो वजहें सामने निकलकर आ रही है उसके मुताबिक़ नंदकुमार साय इस बार विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते थे। संभवतः उन्होंने जशपुर के सीट से अपनी दावेदारी भी पेश की थी लेकिन ऐसा नहीं हो सका। उन्हें कैबिनेट के दर्जे से ही खुश रखने की कोशिश की गई। वही कांग्रेस के पक्ष में सभी को सरकार के रिपीट होने की उम्मीद थी लिहाजा नंदकुमार भी मन मसोसकर कांग्रेस के साथ बने रहे। लेकिन चुनावी परिणाम के बाद उन्होंने तय कर लिया था कि वह अब नहीं ठहरेंगे। और ऐसा हुआ भी। प्रदेश में नई सरकार के गठन के हफ्ते भर बाद ही उन्होंने पार्टी को अलविदा कह दिया। हैरानी की बात यह रही कि उनके इस्तीफे की भनक किसी को नहीं लगी। खुद पीसीसी संगठन के लोगों को भी यह नहीं मालूम था कि साय रवानगी की योजना बना चुके है। पिछली बार जब उन्होंने भाजपा छोड़ा था तब भी इसी तरह से अचानक उनका इस्तीफा सामने आया था। तब वे पार्टी से नाराज जरूर चल रहे थे लेकिन पार्टी छोड़ देने की बात किसी को नहीं मालूम थी। तब उन्होने भाजपा नेतृत्व पर हमला बोला था लेकिन कांग्रेस से इस्तीफ़ा देने से पहले और बाद अबतक उन्होंने किसी तरह का विरोधी बयान नहीं दिया है।
कांग्रेस से इस्तीफे के बाद अब नंदकुमार साय को लेकर कहा जा रहा है कि वह भाजपा में वापसी का प्लान बना रहे है। विष्णुदेव साय के सीएम बनने के बाद उनसे सबसे पहले मुलाकात करने वाले विपक्षी नेताओं में साय ही थे जो उनके पास पहुंचे थे। हालांकि यह उतना आसान नहीं होगा जितना लग रहा है। पिछली बार उन्होंने अपने इस्तीफे के बाद प्रदेशाध्यक्ष अरुण साव समेत संगठन के नेताओं पर खुद के खिलाफ साजिश रचने और अनदेखी के आरोप लगाए थे। तब भाजपा विपक्ष में थी। अब हालात बिलकुल उलट है। अरुण साव पावरफुल हो चुके है और भाजपा सत्ताशीन। ऐसे में पार्टी को नंदकुमार में किसी तरह का फायदा नजर आएं यह मुश्किल है। सूत्र तो यह भी बताते है कि विष्णुदेव साय के सीएम बनने के बाद अब नंदकुमार की नजर रायगढ़ लोकसभा सीट पर है। अगर साय भगवा दल में वापसी करते है तो वह 2024 के आम चुनाव में भाजपा की तरफ से टिकट की दावेदारी भी कर सकते है। और ऐसा नहीं होता तो राज्य की राजनीति में सक्रियता से काम करने की। पर क्या भाजपा इसके लिए तैयार होगी यह देखना दिलचस्प होगा।
वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय के इस्तीफे पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का बड़ा बयान सामने आया है। सीएम साय ने कहा कि कांग्रेस तो डूबती नैया है। हारे हुए प्रत्याशी कांग्रेस छोड़कर भाग रहे हैं। अमरजीत भगत के जासूस वाले बयान पर मुख्यमंत्री साय ने कहा कि हमसे वरिष्ठ हैं हमारे मार्गदर्शक रहे हैं। बीजेपी में शामिल होने के कयासों पर मुख्यमंत्री साय ने कहा कि यह तो प्रदेश अध्यक्ष जी ही बताएंगे।