ED Raid in Raipur

ED Raid in Raipur: राजधानी में चावल कारोबारी के घर ईडी की दबिश, DMF घोटाले समेत इस मामले में मारी रेड

ED Raid in Raipur: राजधानी में चावल कारोबारी के घर ईडी की दबिश, DMF घोटाले समेत इस मामले में मारी रेड Rice Miller Rafiq Memon

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Modified Date: December 18, 2024 / 10:24 AM IST
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Published Date: December 18, 2024 10:12 am IST

ED Raid in Raipur: रायपुर। छत्तीसगढ़ का राजधानी रायपुर के मौदहापारा इलाके में ईडी ने दबिश दी है। चावल कारोबारी रफीक मेमन के घर ईडी की कार्यवाही जारी है। बता दें कि, फर्जी बिलिंग और DMF घोटाले मामले में  रफीक मेमन के यहां रेड  मारी गई है। 

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IAS रानू साहू समेत 16 आरोपियों के खिलाफ चालान पेश

बता दें कि, डीएमएफ घोटाला मामले में ED ने 9 दिसंबर को कोर्ट में निलंबित आईएएस रानू साहू, माया वारियर समेत 16 आरोपियों के खिलाफ 8 हजार 21 पन्नों का चालान पेश किया, जिसमें 169 पन्नों में प्रॉसिक्यूशन कंप्लेन है। ED ने 90 करोड़ 48 लाख 22 हजार 255 रुपए के घोटाला का चालान पेश किया था।

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क्या है DMF घोटाला

प्रदेश सरकार की ओर से जारी की गई जानकारी के मुताबिक, ईडी की रिपोर्ट के आधार पर EOW ने धारा 120 बी 420 के तहत केस दर्ज किया है। केस में यह तथ्य सामने आया है कि डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड कोरबा के फंड से अलग-अलग टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया है। टेंडर भरने वालों को अवैध लाभ पहुंचाया गया। जांच रिपोर्ट में यह पाया गया है कि, टेंडर की राशि का 40% सरकारी अफसर को कमीशन के रूप में दिया गया है। प्राइवेट कंपनियों के टेंडर पर 15 से 20% अलग-अलग कमीशन सरकारी अधिकारियों ने ली है। ED ने अपनी जांच रिपोर्ट में पाया था कि IAS अफसर रानू साहू और कुछ अन्य अधिकारियों ने अपने-अपने पद का गलत इस्तेमाल किया।

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छत्तीसगढ़ में ईडी की दबिश क्यों हुई?

ईडी ने रायपुर के मौदहापारा इलाके में चावल कारोबारी रफीक मेमन के घर फर्जी बिलिंग औ DMF घोटाले (जिला खनिज फाउंडेशन घोटाला) के संबंध में दबिश दी है।

DMF घोटाला क्या है?

छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा है DMF जो खदान प्रभावितों के हितों में खर्च होना चाहिए। लेकिन, इस फंड में खुला खेल फर्रुखाबादी चला है। आइए सरकार द्वारा दी गयी जानकारी के आधार पर आपको बताते हैं छत्तीसगढ़ में कैसे हुआ है DMF घोटाला..
कोरबा DMF फंड से गलत तरीके से टेंडर हुआ।
टेंडर राशि का 40% हिस्सा अधिकारी-कर्मचारी की जेब में।
टेंडर जारी करने के बदले निजी कंपनी ने लिया 15-20% कमीशन।
कमीशनखोरी के चक्कर में सरकारी खजाने को हुआ घाटा।

ईडी की जांच में कौन-कौन शामिल हैं?

ईडी की जांच की अवधि मामले की जटिलता और सबूतों की उपलब्धता पर निर्भर करती है। फिलहाल, कार्यवाही जारी है।

 
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