CG Nyay Yatra Day 2: रायपुर। प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था के मुद्दे पर शुरू हुई कांग्रेस की न्याय यात्रा के दूसरे दिन की तस्वीर ने कई सवाल उठा दिए। पूरे तामझाम के साथ शुरू हुई कांग्रेस की न्याय यात्रा दूसरे ही ठंडी पड़ती नजर आई। इस पर बीजेपी ने तंज कसते हुए कहा कि दरअसल, ये बैज की कुर्सी बचाओ यात्रा है। ये आरोप इसीलिए बना क्योंकि दूसरे दिन की यात्रा में बैज के अलावा दूसरे बड़े नेता नजर नहीं आए।
आरोप लगा कि कांग्रेस के दिग्गगज नेता कुछ ही देर में अध्यक्ष को अकेला छोड़ रवाना हो गए, जबकि दसरे दिन यात्रा में ना तो आम लोग जुड़े ना ही बड़े नेता और तो और कार्यकर्ताओं में भी आपसी खींचतान ने पार्टी की किरकिरी कराई। सवाल ये कि कांग्रेस ने जिस जनता के लिए यात्रा निकालने का दावा किया क्या वो पार्टी के इस अभियान के साथ है ? क्या ये यात्रा अपने मकसद को पूरा कर पाएगी?
छत्तीसगढ़ में ध्वस्त लॉ-एंड-आर्डर के आरोप के साथ, सरकार को घेरने, कांग्रेस ने 27 सिंतबर, शुक्रवार से न्याय यात्रा शुरू की। पूरे जोश-ओ-खरोश के साथ बलौदाबाजार के गिरौदपुरी में पूजापाठ से शुरू हुई कांग्रेसियों की पदयात्रा के दूसरे दिन कसडोल के लवन से यात्रा की शुरूआत हुई, लेकिन कल तक दिग्गज नेताओं के हम साथ-साथ हैं वाली दमदार मौजूदगी के दावे से उलट, दूसरे दिन यात्रा में कांग्रेस के विधायक और पूर्व मंत्रियों तक ने दूरी बना ली। बड़ी बात ये कि दूसरे दिन PCC चीफ दीपक बैज पदयात्रा में अकेले नजर आए।
पहले दिन कांग्रेस नेता दीपक बैज के साथ पूर्व डिप्टी CM टीएस सिंहदेव, नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत, पूर्व मंत्री शिव डहरिया, अनिला भेंडिया, जय सिंह अग्रावाल, कवासी लखमा, गुरू रूद्र कुमार, छाया वर्मा, सांसद ज्योत्सना महंत, प्रमोद दुबे, विकास उपाध्याय,धनेंद्र साहू,प्रमोद दुबे जैसे नेता पहले दिन यात्रा के आधे घंटे बाद ही बैज को छोड़ वापस लौट गए। इसके अलावा पूर्वमंत्री उमेश पटेल, अमरजीत भगत, मो अकबर, रविंद्र चौबे, सत्यनारायण शर्मा, गिरीश देवांगन, जैसे नेताओं ने न्याय यात्रा से दूरी बनाई हुई है।
राज्य के कोटे से राज्यसभा सांसद केटीएस तुलसी, राजीव शुक्ला और रंजीत रंजन का सरकार को घेरने के दौरान कहीं नजर ना आने पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। न्याय यात्रा की ऐसी हालत पर बीजेपी ने इसे कांग्रेस के भीतर गुटबाजी, सिरफुटौअल और बैज के अध्यक्ष की कुर्सी बचाने की कवायद के तौर पर कटाक्ष किया तो कांग्रेस इसे सत्ता पक्ष की बौखलाहट बताकर, कांग्रेस के भीतर सब कुछ ठीक होने और नेताओं एकता का दम भर रही है।
छत्तीसगढ़ न्याय यात्रा का मकसद है, सरकार की कानून व्यवस्था के मसले पर घेराबंदी लेकिन क्या ये यात्रा दूसरे ही दिन अपने दिग्गज नेताओं की आपसी खींचतान से डीरेल हो गई है ? क्या न्याय यात्रा को लेकर बीजेपी का आरोप वाकई सही हैं कि ये यात्रा पदयात्रा नहीं पद के लिए यात्रा है ? सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या इन हालात में यात्रा से प्रदेश के आम लोगों का जुड़ाव होगा ?