Baloda Bazar Violence in CG: रायपुर। आज बात करेंगे बलौदाबाजार हिंसा मामले की.. जिसने भी इस हिंसा से जुड़ी तस्वीरों को देखा वो हैरान रह गया। मन में यही सवाल ही शांति का टापू माने जाने वाले छत्तीसगढ़ में इतना उग्र प्रदर्शन कैसे हुआ? फिलहाल हालात काबू में है और भारी पुलिस बल तैनात है। लेकिन इस पूरे घटनाक्रम पर अब सियासत भी होने लगी है। सत्ता पक्ष हिंसा के लिए सीधे-सीधे कांग्रेस पर षडयंत्र कर माहौल बिगाड़ने के गंभीर आरोप लगा रहा है तो विपक्ष इसे सरकार की नाकामी करार दे रहा है। लेकिन इतनी बड़ी क्षति के लिए सिर्फ बयानबाजी से खानापूर्ति नहीं हो सकती, कई सवाल हैं, जिन पर विपक्ष भी घेरे में है और सरकार भी.. क्या ये सिस्टम की नाकामी है.. या सरकार की.. ये भी एक प्रश्न है।
हाल के बरसों में इससे बड़ा उग्र प्रदर्शन और कहीं नहीं हुआ। ये तस्वीर बलौदाबाजार के कलेक्ट्रेट परिसर की है। कलेक्ट्रेट और एसपी दफ्तर अब खंडहर में तब्दील हो चुका है। परिसर में जहां-तहां कार और बाइक के अवशेष पड़े हैं। सैकड़ों जरूरी फाइल राख में तब्दील हो गई। फिलहाल स्थिति पुलिस के नियंत्रण में औऱ शांतिपूर्ण है। किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना को रोकने के लिए धारा 144 लागू है। बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात है। आगजनी और तोड़फोड़ की जांच शुरू हो गई। उधर, पुलिस ने इस मामले में 200 लोगों को गिरफ्तार किया है.. जिसमें पूछताछ जारी है।
हालात की गंभीरता को देखते हुए सीएम विष्णुदेव साय ने अपना जशपुर दौरा रद्द कर दिया है। सीएम साय ने गृह मंत्री विजय शर्मा और पुलिस अधिकारियों से हालात की जानकारी ली। इससे पहले गृह मंत्री और डिप्टी सीएम विजय शर्मा दिल्ली से लौटते ही देर रात 1 बजे बलौदाबाजार पहुंचे। अधिकारियों के साथ मौके का मुआयना किया और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। डिप्टी सीएम अरुण साव ने कहा कि सरकार मामले पर गंभीर है। समाज को बदनाम करने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी। इस बीच बलौदाबाजार के प्रभारी मंत्री दयालदास बघेल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूर्व मंत्री रुद्र गुरु और कुछ कांग्रेस विधायकों पर साजिश के तहत माहौल बिगाड़ने का आरोप लगाया। बघेल ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने षडयंत्र के तहत लोगों को भड़काया।इस मामले पर विपक्ष सरकार को घेर रहा है।
Baloda Bazar Violence in CG: प्रदेश के पूर्व गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने सीएम और गृह मंत्री का इस्तीफा मांग लिया है। शांति के टापू के नाम से पहचान रखने वाले छत्तीसगढ़ की तो ऐसी फितरत नहीं थी। शांत प्रदेश के लोग कैसे उग्र हो गए। सवाल हैं कि 6 जून को सतनामी समाज के लोगों के साथ जब सरकार की बैठक हो गई थी तो फिर प्रदर्शन क्यों हुआ? सवाल ये भी कि क्या सरकार ने मामले की संवेदनशीलता को समझने में चूक की? या क्या प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों के साथ सही ढंग से डील नहीं किया? तो सवाल कई हैं जवाब का इंतजार है।