रायपुर। सियासी गलियारे में राम नाम के पॉलिटिकल इस्तेमाल पर बहस नई नहीं है। हाल ही में प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदव साय दिल्ली गए। मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ से अयोध्या तक बेहतर रोड कनेक्टिविटी की मांग की, जिसपर विपक्ष ने आरोप लगाते हुए सवाल उठाया कि सरकार को आखिर पहले अपने राज्य की सड़कों की चिंता क्यों नहीं है। क्यों बीजेपी का राम नाम की राजनीति के बिना काम ही नहीं चलता…? देखिए ये खास रिपोर्ट
छत्तीसगढ़ में साय सरकार ने प्रदेश के लोगों को हर मार्ग से राम जी के सुलभ दर्शनों की व्यवस्था करने का संकल्प लिया है। 2023 चुनाव में बीजेपी ने अपने वायदे के मुताबिक रामलला दर्शन योजना शुरु कर दी है, जिसके तहत प्रदेशभर से हजारों रामभक्त ट्रेन मार्ग से अयोध्या दर्शन करने जा रहे हैं। इसी के साथ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने रामभक्तों के लिए सड़क मार्ग से भी अयोध्या दर्शन की व्यवस्था करना तय किया है। सीएम साय ने केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मांग की है, कि रायगढ़ से धरमजयगढ़ होते हुए अंबिकापुर और आगे वाराणसी तक 282 किलोमीटर का राष्ट्रीय राजमार्ग बनाया जाए।इससे धार्मिक पर्यटन को तो बढ़ावा मिलेगा ही साथ ही प्रदेश के श्रद्धालु वाराणसी, अयोध्या तक आसानी से पहुंच सकेंगे।
मुख्यमंत्री का दावा है कि इस राजमार्ग के बन जाने पर ना सिर्फ UP के मुख्य शहरों तक आसान आवाजाही होगी बल्कि कारोबार का लाभ मिलेगा। एक तरफ सरकार का दावा है कि रेल और रोड कनेक्टिविटी का लाभ यूपी-छत्तीसगढ़ दोनों को मिलेगा तो दूसरी तरफ कांग्रेस ने तंज कसते हुए कहा कि अयोध्या तक सड़क निर्माण से पहले सरकार को प्रदेश की सड़कों को दुरुस्त कर लेना चाहिए। पीसीसी चीफ दीपक बैज का आरोप है कि प्रदेश की कई सड़कें खस्ताहाल हैं लेकिन बीजेपी सरकार सिर्फ भगवान के नाम पर राजनीति ही सूझ रही है।
कुल मिलाकर सत्ता पक्ष का दावा है कि छत्तीसगढ़ से अयोध्या तक की सड़क रामभक्तों का अयोध्या-वाराणसी तक आसान पहुंच के साथ-साथ दोनों प्रदेशों में बेहतर कारोबार भी देगी। लेकिन, विपक्ष का आरोप है कि ये सब महज राम नाम की राजनीति को भुनाने के लिए हो रहा है। सवाल है कि ये राजमार्ग सियासी भविष्य की जरूरतों को पूरा करने वाली और दूरगामी लाभ के लिए है या फिर सियासी लाभ पाने के लिए…?