CM Bhupesh gave land rights to the farmers of Abujhmad area

आदिवासी मन के कर दिस उद्धार…जल, जंगल, जमीन के दिस अधिकार, जय हो भूपेश सरकार

CM Bhupesh gave land rights to the farmers of Abujhmad area राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव जैसे गौरवशाली आयोजनों की शुरूआत की गई।

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Modified Date: August 11, 2023 / 03:40 PM IST
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Published Date: August 11, 2023 3:40 pm IST

CM Bhupesh gave land rights to the farmers of Abujhmad area: रायपुर। छत्तीसगढ़ के वन और आदिवासी, सदियों से इसकी पहचान रहे हैं। राज्य के लगभग आधे हिस्से पर जंगल हैं, जहां छत्तीसगढ़ की गौरवशाली आदिम संस्कृति फूलती-फलती है। बीते कुछ वर्षों के दौरान छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के समग्र विकास और उत्थान पर विशेष ध्यान दिया गया है। इससे राज्य के आदिवासी बहुल इलाकों में विकास की नई लहर पैदा हुई है। छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति से देश-दुनिया को परिचित कराने के लिए राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव जैसे गौरवशाली आयोजनों की शुरूआत की गई।

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छत्तीसगढ़ के आदिवासियों को मिली बड़ी सौगात

विश्व आदिवासी दिवस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के आदिवासियों को बड़ी सौगात दी है। भूपेश सरकार ने आदिवासियों की संस्कृति को सहेजने और संरक्षित करने का कार्य किया है। छत्तीसगढ़ में सीएम भूपेश ने सत्ता में आने के साथ ही आदिवासियों के सशक्तिकरण के लिए विभिन्न कार्य किए। भूपेश सरकार ने पेसा कानून को पूरी तरह क्रियान्वित करने के लिए नियम बनाए। जल, जंगल, जमीन के संरक्षण के लिए प्रदेश के आदिवासियों को वो सारी जरूरतें उपल्ब्ध कराईं हैं, जो उनको बेहद ही जरूरी थी।

पहला राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव 2019 में और दूसरा 2021 में और इसका तीसरा संस्करण 2022 में देखा गया। देवगुड़ियां (आदिवासियों का पूजा स्थल) और घोटुलों (आदिवासियों का सांस्कृतिक मिलन स्थल) का संरक्षण और संवर्धन कर राज्य सरकार ने आदिम जीवन मूल्यों को सहेजा और संवारा है। वर्तमान में देवगुड़ी और घोटुल निर्माण के लिए 5 लाख रुपए तक राशि दी गई। सरकार द्वारा आदिवासियों के तीज-त्यौहारों की संस्कृति एवं परंपरा को संरक्षित करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री आदिवासी परब सम्मान निधि योजना शुरू की गई है। आदिवासी परब सम्मान निधि योजना में मेला, मड़ई, जात्रा त्योहार, सरना पूजा, देव गुड़ी, छेरछेरा, अक्ती, नवाखाई और हरेली जैसे विभिन्न त्योहार शामिल हैं। योजना के तहत इन त्योहारों के लिए 10 हजार रुपए का अनुदान दिया जाता है।

अबूझमाड़ क्षेत्र के किसानों को मिली जमीनी अधिकार

भूपेश सरकार की नीति के चलते वनांचल में रहने वाले लोगों के जीवन में तेजी से बदलाव आने लगा है। सरकार ने आदिवासी समाज की जरूरतों और अपेक्षाओं को ध्यान में रखकर कई नई योजनाएं बनाई गई हैं। इसकी शुरूआत लोहंडीगुड़ा के किसानों की जमीन वापसी से हुई। बस्तर के लोहंडीगुड़ा क्षेत्र के 10 गांवों में एक निजी इस्पात संयंत्र के लिए 1707 किसानों से अधिग्रहित 4200 एकड़ जमीन वापस की गई। इससे यहां के निवासियों को कृषि के लिए पट्टे दिए जा सकेंगे। नए उद्योगों की स्थापना हो सकेगी। आजादी के बाद पहली बार अबूझमाड़ क्षेत्र के 2500 किसानों को मसाहती खसरा प्रदान किया गया।

लघु वनोपजों के समर्थन मूल्य पर संग्रहण

सीएम भूपेश बघेल की विशेष पहल से वनांचल में तेजी से बदलाव लाने के लिए राज्य सरकार ने तेंदूपत्ता संग्रहण दर को 2500 रुपए प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 4000 रुपए प्रति मानक बोरा करके, 67 तरह के लघु वनोपजों के समर्थन मूल्य पर संग्रहण, वैल्यूएडिशन और उनके बिक्री की व्यवस्था की गई। राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2018-19 से लेकर 2022-23 के दौरान राज्य में 12 लाख 71 हजार 565 क्विंटल लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी की गई, जिसका कुल मूल्य 345 करोड़ रुपए है। वनोपज संग्रहण के लिए संग्राहकों को सबसे अधिक पारिश्रमिक देने वाला राज्य छत्तीसगढ़ है।

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पेसा कानून से आदिवासियों को मिलेगी बड़ी राहत

CM Bhupesh gave land rights to the farmers of Abujhmad area: छत्तीसगढ़ सरकार पेसा कानून के नियमों को लागू करने के विषय में गंभीरता से प्रयास कर रही है। पेसा कानून के नियम बन जाने से अब इसका क्रियान्वयन सरल हो जाएगा। इससे आदिवासी समाज के लोगों में आत्मनिर्भरता और स्वावलंबन की भावना आएगी। ग्राम सभा का अधिकार बढ़ेगा। ग्राम सभा के 25 प्रतिशत सदस्य आदिवासी समुदाय के होंगे और इस 50 प्रतिशत में एक चौथाई महिला सदस्य होंगे। ग्राम सभा का अध्यक्ष आदिवासी ही होगा। महिला और पुरूष अध्यक्षों को एक-एक साल के अंतराल में नेतृत्व का मौका मिलेगा। गांव के विकास में निर्णय लेने और आपसी विवादों के निपटारे का अधिकार भी इन्हें होगा। वैसे पेसा कानून पहले से था, इसके नियम नहीं बनने के कारण इसका लाभ आदिवासियों को नहीं मिल पा रहा था, लेकिन अब नियम बन जाने से वे अपने जल-जंगल-जमीन के बारे में खुद फैसला ले सकेंगे।

 

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